Wednesday, October 3, 2018

शुक्र, ये जख्म सही , हमें - तुमसे मिले हुए हैं
बेशक़ीमती इक चीज़ , हमें - तुमसे मिली हुई है

बे-हिसी से हमें यूँ - ज़िंदगी जी लेना गँवारा नहीं
ऐसी ख़ुशी भी क्या - जो औरों के ग़म महसूस न होने दे

सुकून की हसरत लिए - दिल इश्क में पड़ता है
जूनून ए इश्क का सिला - धोखे में मिलता है

फ़ना हो जाये उसे हम मोहब्बत क्या कहें
मोहब्बत वो जो हमारे बाद भी जिंदा रहे

सफाई देते हम तो इल्जाम - हमारे अपनों पर ही आता
इल्जाम अपने पर ले - इसलिए हम गुनाह कुबूल करते हैं

दिल को करार - लफ्जों से नहीं मिलेगा
तुम ही आओ - तो हमें करार मिल जाये







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