Tuesday, October 16, 2018

गम जदा नज़र आना हमें यूँ मंजूर नहीं कि
कोई नहीं ऐसा जिसे हमारे ग़म की फ़िक्र है

अपनी खुशियों का इज़हार - हम नहीं करते हैं कि
नज़र आते यहाँ लाखों - रंजीदा और अफ़्सुर्दा हमें




No comments:

Post a Comment