Sunday, November 15, 2015

क्या पति -पत्नी रिश्ते से कोई बेहतर विकल्प हो सकता है ?

क्या पति -पत्नी रिश्ते से कोई बेहतर विकल्प हो सकता है ?
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किसी पत्नी ने सेक्स के लिए पति से किसी समय अरुचि नहीं दिखाई होगी और उसे पति ने नहीं समझा (मान लिया) होगा ऐसा पति-पत्नी के बीच के दीर्घ जीवन में नहीं हुआ होगा , ऐसा लगभग असंभव है। यह पति-पत्नी के मध्य बेहद निजी बात होती है।
नारी-पुरुष समान अधिकारों (नारी स्वतंत्रता) के प्रश्न में "आजाद होने का अर्थ ,किसी भी पुरुष को सेक्स के लिए "no"कहने की ताकत है ।  फिर वो पुरुष चाहे आपका पति ही हो " मुझे अनुचित प्रतीत होता है।
परिवार में रहते हुए , पत्नी रूप में रहते हुए बहुत सी नारी ऐसी हैं , जो जीवन से हर तरह से संतुष्ट हैं ही , उनको अपने अधिकारों में कहीं कमी नहीं लगती है । साथ ही इस पारिवारिक-समाज व्यवस्था में उन्हें नारी परतंत्रता नहीं लगती है। तथापि होंगी ऐसी नारी जिन्हें विपरीततायें हैं। लेकिन उस नाम पर पति-पत्नी के निजी विषयों में फेमिनिज्म का ऐसा दखल , अनुचित लगता है।
पुरुष या नारी की एक दूसरे से बिलकुल पृथक रहने की कोई व्यवस्था हो ही नहीं सकती , इसलिए नारी या पुरुष स्वतंत्रता की कोई प्रश्न नहीं होना चाहिए। प्रश्न होना चाहिए कि 'दोनों के मध्य बेहतर संबंध कैसे सुनिश्चित हों? और क्या पति -पत्नी रिश्ते से कोई बेहतर विकल्प हो सकता है ?
नोट - पैरा -2 में " " के बीच उल्लेखित वाक्य - कल पढ़ी एक पोस्ट से लिया है )
--राजेश जैन
16-11-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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