Wednesday, November 4, 2015

6. क्यों नहीं ? सार्वजनिक स्थलों पर नारी को सम्मान और सुरक्षा - क्यों है उस पर अतिरिक्त पर्दा ?

6. क्यों नहीं  ? सार्वजनिक स्थलों पर नारी को सम्मान और सुरक्षा - क्यों है उस पर अतिरिक्त पर्दा ?:-
हमें अपना चश्मा , इतना परफेक्ट रखना है कि , वह देख सके , कि चर्चा चलन ,किस तरफ मुड़ जायेगें।  जो वाँछित नहीं है ,भला नहीं है , उसकी संभावना पहले ही खत्म करना , बुध्दिमानी है। किसी के मन में क्या है की झलक देने की दृष्टि से उसका बिना बनावट का कर्म ,व्यवहार और आचरण उपयोगी हैं। इस से विद्वानों को पूर्वाभास मिलता है ,और वह समाज प्रचलन सही दिशा में मोड़ सकते हैं  । नारी , जो पहले ही कई तरह से आहत है , उसे हम नई कोई वेदना न दें , इस दृष्टि से चर्चा ,व्यवहार को शिष्टाचार की सीमा में रखने को हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। 
हम नारी का मान -सम्मान और सुरक्षा बढ़ाने के पक्षधर हैं , अनायास ही किसी अच्छे कार्य के बीच उनकी वेदनाओं को बढ़ा देना मूर्खता ही होगी , जिससे हमें बचना होगा।
यह ध्यान रखें की नारी हमारे परिवार की सदस्या है , हमारी माँ भी ,बहन भी , बेटी भी और पत्नी भी है। जब हम समाज में नारी की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करते हैं , तो यह हमारी माँ ,बहन ,बेटी और पत्नी
को भी मिलता है। एक पुरुष - एक पिता , भाई ,पुत्र और पति के रूप में ऐसा देखना पसंद करता है। पुरुष इसे , इस तरह अपने पारिवारिक दायित्व में देखें तो , वह महान समाज सेवा , राष्ट्र निष्ठा और मानवता होगी। समाज इस तरह का बनें की नारी को असुविधाजनक अतिरिक्त पर्दों से मुक्ति मिले।
(इवेंट में हिस्सा ले रहे आदरणीयों के परामर्श अनुसार यह आलेख ,एडिट किया जाता रहेगा )
--राजेश जैन
05-11-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
https://www.facebook.com/events/1711294505773197/

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