Saturday, November 21, 2015

बेटी हो या बेटा

बेटी हो या बेटा
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अपने विश्वास अपनी आस्था जन्में घर-धर्म से बनाते हैं
फिर वे हों सच्चे या ना अच्छे बदल नहीं क्यों हम पाते हैं

हम बदलें मान्यता अपनी ,यदि पीड़ा अन्य को पहुँचाते हैं
धर्म की न करें गलत विवेचना , ये सर्व सुख राह बताते हैं

बेटी हो या बेटा एक पध्दति से जन्मा होता है
एक विधि से पौष्टिकता ले बच्चा बड़ा होता है
लालन-पालन की रीत में फर्क क्यों फिर ,जब ?
माँ-पापा के लाड़ दुलार में न कोई फर्क होता है
--राजेश जैन
22-11-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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