Tuesday, November 3, 2015

व्रत , भाई , पति या पुत्र के लिए , नारी ही रखती है - क्यों नहीं ? बहन , पत्नी या पुत्री के लिए पुरुष रखता है

2. व्रत , भाई , पति या पुत्र के लिए , नारी ही रखती है - क्यों नहीं ? बहन , पत्नी या पुत्री के लिए पुरुष रखता है :- कई धार्मिक व्रत उपहास की रीतियाँ , हमारे समाज में हैं , जिन्हें पुरुष भी रखता है , नारी भी रखती हैं। लेकिन दाम्पत्य जीवन में खुशहाली की दृष्टि से रखे जाने वाले उपवास सिर्फ नारी रखती हैं , जैसे करवा-चौथ और तीजा आदि। जिन नारियों की आस्था और विश्वास इन व्रत की महिमा को लेकर है , वे इन्हें रखे बिना ,व्याकुल और दुःखी ही होंगी , इसलिए इन व्रतों को न रखने कहना अनुचित ही है , लेकिन जिस नारी के मन में ऐसा कोई विश्वास या श्रध्दा नहीं है , उसे व्रत रखने को बाध्य करना या व्रत न रखने पर उलाहने देना उचित नहीं है। जिन पुरुषों की तीजा , करवा चौथ आदि में आस्था है , कि नारी के ऐसे व्रत का अच्छा प्रतिफल उन्हें या परिवार को मिलता है , ऐसे पुरुष विचार करें कि इस तरह के कुछ व्रत वे भी रखें। परिवार की खुशहाली उनका भी दायित्व है , उनकी भी इक्छा है तो उसके लिए एक या दो समय का भोजन का त्याग कभी कभी वे भी कर सकते हैं।  इन व्रतों की नई परंपरा वे रखकर उनका नाम भी वे निर्धारित कर सकते हैं। ऐसा यदि पुरुष करता है तो निश्चित ही नारी -पुरुष में परस्पर सम्मान और विश्वास को बल मिलेगा , जो परिवार की सुखदता , उसमें प्रेम और परस्पर त्याग की वह भावना पुष्ट करेगा , जिसके होने से जीवन में अवसाद दूर रहेंगे।
(इवेंट में हिस्सा ले रहे आदरणीयों के परामर्श अनुसार यह आलेख ,एडिट किया जाता रहेगा )
--राजेश जैन
04-11-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

No comments:

Post a Comment