Tuesday, November 3, 2015

बेटी जन्म पर , बधाई नहीं दी जाती , बैंड नहीं बजाये जाते

1. बेटी जन्म पर , बधाई नहीं दी जाती , बैंड नहीं बजाये जाते :- बाहरी शरीर भिन्न लेकिन मानसिक सामर्थ्य ,क्षमता और अभिलाषाओं की दृष्टि से समानता होने पर , बेटी और बेटे के जन्म में खुशियों में अंतर की प्राचीन सोच में बदलाव जरूरी है। बेटियों को अवसर मिला है तो उन्होंने किसी भी क्षेत्र में वह सफलता पाई है जो बेटों को मिली है। चाहे वह क्षेत्र अध्ययन को हो या धन अर्जन का , विज्ञान का हो या सामाजिक , धार्मिक हो या राजनैतिक। अतः जरूरत सोच में बदलाव की है।  दो समान ,संभावना-शील व्यक्तियों में सिर्फ जेंडर के भेद से हमारे व्यवहार में भिन्नता , नारी को आहत करता है। जिन परिस्थितियों के कारण बेटी का लालन-पालन किसी परिवार को कठिन लगता है , आवश्यकता उन सामाजिक परिस्थितियों और संकीर्णताओं को खत्म करने की है , ना कि बेटी को।
हालांकि , अब कई परिवार हैं , जिनमें संतान ,सिर्फ बेटी या बेटियाँ हैं , और ऐसे परिवार खुशहाल भी हैं , किन्तु बेटे या बेटी में भेद न करने वाले परिवारों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम है।
हम नारी के लिए सम्मान , सुरक्षा और समान अवसरों के समाज की रचना करें और बेटी जन्म पर भी बधाई और बैंड के साथ खुश होने की रीत बढ़ायें। यह समय की माँग है , सभ्यता के अनुरूप है।
(इवेंट में हिस्सा ले रहे आदरणीयों के परामर्श अनुसार यह आलेख ,एडिट किया जाता रहेगा )
--राजेश जैन
04-11-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
 

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