Monday, February 18, 2013

gold medal


गोल्ड मैडल
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आज जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज (जहाँ का मै पूर्व छात्र हूँ ) में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र जो अपने ब्रांच में प्रथम आये हैं को स्वर्ण पदक (गोल्ड मैडल ) प्रदान किये जा रहे हैं . गोल्ड मैडल जिन्हें मिल रहा है उनको संबोधित करते मै लिखना चाहता हूँ ..

यह गोल्ड मैडल उनका पहला या इसके पूर्व एक दो मिले हो सकते हैं .वास्तव में यह विद्यार्थी के आत्म-विश्वास बढाने के लक्ष्य से ताकि उनकी जो प्रतिभा है उसका उपयोग वे आगे भी अपने स्वच्छ कर्मों और आचरण से जीवन में इस तरह की सफलता दोहराते रहें ऐसी प्रेरणा के लिए दिया जाता है .
गोल्ड मैडल उन्हें मिला है वह ,यह सिध्द करता है उनमें विशिष्ठ योग्यता है . यह पदक देख और अपने पास संजो वह जीवन में अपनी इस योग्यता को सच्ची प्रकार अनुभव करें . साथ ही वे यह देखें उन्ही के इस देश और समाज में कितनी समस्याएँ और अभाव हैं . उन्हीं के कुछ साथी कितनी ही कठिनाई से इस पढाई के शुल्क और खर्च उठाते हैं . विशिष्ठ इस योग्यता जो ईश्वर प्रदत्त और उनके सही परिवेश और संस्कार से उन्हें मिल सकी है का प्रयोग वे इन सामाजिक समस्याओं और अभाव को कम करने में लगायें .
यह दिन उनकी अत्यंत प्रसन्नता के दिनों में से एक है . वे आज ऐसा सपना सजायें जिसमें आसपास के दुखद सामाजिक और व्यवस्था को एक सहज प्रसन्नता में परिवर्तित करने के लिए आगे के जीवन में वे कार्य करने में सफल हो सकें .

इस पुरूस्कार (राशि) को वस्तु रूप ना ग्रहण करें क्योंकि वस्तु प्रयोग के बाद समाप्त हो जाती है या पुरानी पड़ जाती है . जिसका औचित्य अन्य के लिए कुछ ज्यादा नहीं होता है . इस पुरूस्कार को वे प्रेरणा रूप ग्रहण करें . प्रेरणा हमेशा नूतन बनी रह सकती है और जिसका औचित्य अन्य के लिए भी उपयोगी हो सकता है .

किसी भी पुरूस्कार की प्रथा इस मंतव्य से ही रखी गई हैं , जिससे प्राप्तकर्ता अपनी अच्छाइयों को बनाये रखने के लिए प्रेरित हो . आज हो इसके विपरीत रहा है . पुरुस्कृत व्यक्ति दंभ में पड़ जाता है और अच्छाई भूल अहंकार जनित बुराइयों से घिर जाता है . मै आशा करता हूँ आज पुरुस्कृत हो रहे विद्यार्थी इस विषय में सतर्क रहेंगे अपनी अच्छाईयां बनाये रखेंगे ,उन्हें और बढ़ाएंगे . फिर उनका प्रयोग अपने ही साथ इस देश के अन्य नागरिकों के अच्छे जीवन निर्माण में करेंगे .

पुरूस्कार की राशि यदि आपका परिवार बहुत निर्धन नहीं हैं तो ऐसे सामाजिक कार्य को अर्पित करें जिससे इस समस्याग्रस्त परिदृश्य बदलने में सहायता हो . पुरूस्कार राशि निसंदेह इस दृष्टि से अत्यंत अल्प है . पर एक बेहद ही सक्षम परम्परा का आरम्भ बन सकती है . उस राशि का व्यक्तिगत प्रयोग (वस्त्र , आभूषण या ऐसा ही कुछ ) बहुत ही साधारण प्रयोग है . अचानक धन मिलने पर आज सभी इसी तरह प्रयोग करते हैं (अपने आलिशान भवन , वाहन , वस्त्र और आभूषणों के लिए ) . आपमें विशिष्ठ योग्यता है आप असाधारण सपना देखिये . आप ऐसा सपना देखिये कि इस देश का हर परिवार एक ठीकठाक से सुविधा वाले छोटे ही सही पर स्वच्छ घर में निवास कर सके . आज नारी असुरक्षा अनुभव कर रही है कैसे उसका यह भय समाप्त हो? आप विदेश जा सुविधा संपन्न जीवन का सपना ना देखें . आप की शिक्षा पर इस देश के नागरिकों के टैक्स से संग्रहित धन लगा है (आप जो अदा करते हैं उससे ज्यादा व्यय आपको शिक्षित करने के लिए महाविद्यालयों को उठाना होता है ). उसका प्रतिदान आप इस देश के समाज और व्यवस्था में अपनी योग्यता लगाकर दीजिये .
 
ध्यान रखें पिछली सदी में हमारे समाज के विशिष्ठ व्यक्ति स्वतंत्रता के लिए लड़ अपना जीवन लगा रहे थे . इस शताब्दी में हमें अपने भाई-बहन और समाज की भलाई के लिए बुरी प्रवृत्तियों ,बुरी शक्तियों और ढोंगी नायकों के विरुध्द लड़ देश और समाज को बुराई से स्वतन्त्र करना है .यह पराक्रम दर्शाने का अवसर (opportunity) आपको मिली है इस अवसर को न्याय प्रदान करें .
जिन्हें गोल्ड मैडल नहीं मिला है वे उदास ना हों . कारण हो सकते हैं , परिवेश संस्कार उचित प्रेरणा उतनी पर्याप्त उनके साथ नहीं रही हों .पर जीवन में सफलता का यह अवसर अंतिम नहीं है . आरम्भ कीजिये आप को और अवसर आगे हैं .
 
जैसे कॉलेज के इस ऑडिटोरियम जिसमें यह समारोह हो रहा है . वह कॉलेज के उन आदरणीय पूर्व विद्यार्थी के द्वारा निर्मित कराया गया है जो गोल्ड मैडलिस्ट नहीं थे . पर अपनी प्रतिभा से जिन्होंने धन तो एकत्र किया ही . साथ ही ऐसी सद्बुध्दि भी कायम रखी . जिसके बलबूते उन्होंने अपने इस पूर्व महाविद्यालय को अपने जीवन में स्मरण रखा और उसकी आज की आवश्यकता को समझ यह भवन निर्मित करा कर दिया . गौरव है कॉलेज को उन पर .आप सभी इस गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाएं और देश और समाज की आज की आवश्यकताओं को अनुभव कर अनमोल योगदान दे साबित करें हम भी कम नहीं हैं .
 
किसी माता-पिता को गोल्ड मैडल या इस तरह के सम्मान में अर्जित अपने पाल्य की धन राशि से लगाव नहीं होता . लेकिन वह गौरव जो उनका पाल्य उन्हें इस तरह दिलाता है अनमोल होता है . और ऐसी संतान पा उन्हें अपना जीवन सार्थक हुआ अनुभव होता है

 

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