सर्व हितकारी समाज
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किसी वर्ग , जाति या नारी विशेष का जीवन कठिन होता हम देखते हैं . अगर हमें सहानुभूति है तो कठिनाई के और किसी कारण में नहीं जाना चाहिए .सर्वप्रथम उनकी कठिनाई को इस दृष्टिकोण से परीक्षण करना चाहिए कि कठिन स्थिति में होने के लिए स्वयं हम कितने जिम्मेदार हैं . जो थोडे भी कारण हम स्वयं बनते लगते हैं , अपने में से वे कम कर लेना उनकी कठिनाई दूर करने में सहायक होंगे .
वास्तव में दुनिया में बुराई का अम्बार देख हम सोचते हैं इतनी बुराई हम अपने दम पर दूर नहीं कर सकते . यह सच्चाई भी है . अकेले किसी एक की क्षमता इतनी पर्याप्त नहीं हो सकती है .
वास्तव में बुराइयों का कुल योग अनगिनत बन जाता है . पर जब सब इस तरह से अपने अपने बुराई के हिस्से को इस तरह कम करें तो बुराई सरलता से नियंत्रित हो सकती है .
इस पर विश्वास नहीं है तो सब मिल यह कर के देखें .
कुछ ही समय लगेगा जब हमारा समाज सर्व हितकारी बन जाएगा .
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