Friday, February 8, 2013

Zozila to Rohtang -- यात्रा वृतांत - एक कल्पना (भाग एक )

Zozila to Rohtang -- यात्रा वृतांत - एक कल्पना (भाग एक )
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प्रदर्शनी में प्रदर्शित छायाचित्र जिसमें जंगल ,पहाड़ सरिताओं और झीलों के अतीव सुन्दर दृश्य , भारतीय सेना के साहस के कारनामों को कहते प्रेरक चित्र और कारगिल , लद्दाख और वादियों के स्थानीय जीवन को दर्शाते चित्रों को एकसाथ इतनी अधिक मात्रा में तथा इतने सुन्दर चित्रांकन को देखने का बहुत अच्छा अवसर हमें मिला . हमने नयनाभिराम प्राकृतिक छटा को देख आयोजक , प्रवास करने वाले अपने मित्रों की ह्रदय से प्रशंसा भी की . पर हम में से अधिकतर उसके पीछे के कुछ तथ्यों पर सोचने का वक्त ना  निकाल सके होंगे .. तनिक कल्पना मैंने की है जो निम्नानुसार है .
 
चार मित्र प्रवास शौकीन एक शाम तय करते हैं . किसी रोचक यात्रा पर जाया जाए . एक मित्र कश्मीर की वादियों में पूर्व में दुर्गम स्थानों की सैर कर साहसिक कारनामा पूर्व में ही कर चुका है . और उनके इस साहस का जिक्र लिम्का बुक में भी दर्ज हो चुका है . वे अन्य अपने मित्रों को उन्ही स्थानों  पर चलने का प्रस्ताव करते हैं . कुछ सोच विचार के बाद तय हो जाता है . परिवार को बच्चों की शिक्षा की दृष्टि से साथ ले जाना ठीक नहीं लगता . तय किया जाता है लक्सरी  निजी गाडी मर्जी से चलने और रूक लेने की दृष्टि से उचित होगी .
 
यात्रा   आरम्भ करने का समय आ जाता है .. गाड़ी बारी बारी से एक एक मित्र के द्वार उन्हें लेने के लिए पहुँच रही है .. यात्री साजो सामान के साथ गाड़ी में बैठते हैं . द्वार पर विदा करने , माँ -पिता , भाई , पत्नी बच्चे खड़े होते हैं . इन्हें 10 दिनों की लम्बी अवधि के लिए विदा करते हुए , वह भी दुर्गम स्थानों की सैर के लिए , आखों में अश्रु आने को आतुर होते हैं . पर विडम्बना उन्हें अन्दर ही रोकने का लगभग असंभव यत्न किया जाता है . विदा करते हुए अपने अश्रु दिखा वे यात्रियों के साहस को कम जो नहीं होने देना चाहते . चारों घरों के द्वारों पर लगभग यह दृश्य उत्पन्न होता है . अपनों की इस शंका और विछोह के दुःख को समझते , ये चारों साहसी पत्नी और बच्चों से आँखे चुराते गाड़ी में आ बैठते हैं .. 
 
10 दिनों घर परिवार में उनकी अनुपस्थिति में भी सर्व कुशलता बनी रहे यह ख्याल उन पलों में प्रमुख रूप से ह्रदय में है , यात्रा की रोचकता और कल्पना से जो मन पुलकित रहा है इस घडी वह दब गया है . चारों ही इस समय चर्चा करने के स्थान पर खामोश हैं   ...
 
जबलपुर शहर की सीमा से बाहर गाड़ी आ गयी है .. और गंतव्य की दिशा में तेज गति से फर्राटा भरने लगी है ....
 
जारी क्रमशः ----

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