Saturday, February 16, 2013

ईश्वरीय सहायता


ईश्वरीय सहायता
---------------------

वर्ष 1997 के अंतिम महीनों की बात है . मुझे विभाग के महत्वपूर्ण कार्य के कंप्यूटरीकृत करने का लक्ष्य मिला . मै इलेक्ट्रिकल इंजिनियर था . उस समय कंप्यूटर जानकार विभाग में कम थे . मुझे स्वयं कम ही जानकारी थी . फिर भी असाइन लक्ष्य पर काम करने की चुनौती स्वीकार करते मैंने स्वयं अपनी और मातहत कर्मियों का कंप्यूटर ज्ञान बढ़ाने का गंभीर प्रयास आरम्भ किया . अपने साथी कर्मियों से मैंने बड़े-छोटे का भेदभाव छोड़ा . मित्रवत समवेत कार्य की परम्परा बनाई . छोटे कार्य भी स्वयं मैंने करने आरम्भ किये और प्रेरणा ग्रहण करते हुए , मेरे मातहत कर्मी भी इस भेद को कि क्या उनकी ड्यूटी है छोड़ अगर जरुरत हुई तो कक्ष की झाड़ू पोंछा भी मेरे कहे बिना बेहिचक करने लगे . मुझे उन दिनों उस कक्ष में रात दिन भी रहना पड़ा . यह अवसर भी आये जब मैंने शेविंग या टूथ ब्रश तक पूरी रात वहां गुजारने के बाद कार्यालय में ही किये . 

सिलसिला चल रहा था . विभाग में मेरे से वरिष्ठ पर मेरे से चिढने वालों को यह सब होता अच्छा नहीं लगता . वे अपने तरह से मुझे विचलित करने के लिए मुझे जब-तब बुला बहाने बहाने से अप्रिय बातें करते . मुझे मार्च 98 तक लक्ष्य हासिल करना था . उनके इस तरह दखल से मुझे निराशा घेरने को देखती .

ऐसे समय में अन्य विभाग से एक महिला अधिकारी की हमारे विभाग में पोस्टिंग हुई . वे इलेक्ट्रोनिक इंजिनियर थीं अतः कंप्यूटरीकरण  के इस कार्य के लिए उन्हें भी मेरे साथ किया गया . उनके आते ही उनके लिहाज के कारण मेरे उन वरिष्ठ का दखल कम हुआ . उन्होंने भी विभाग में नई होते हुए साथ ही अस्थायी पद स्थापना होने पर भी इस कार्य में पूरी निष्ठा प्रदर्शित की और  मेरे मातहत सहित सभी के सयुंक्त प्रयासों से मार्च 98 में हमने लक्ष्य में सफलता पाई .

विभाग से सयुंक्त अनुशंसा में उन्हें मेरे साथ सम्मिलित भी किया गया . यह उदाहरण उस उक्ति को चरितार्थ करता है "हिम्मते  मर्दा मददे खुदा " . उनकी प्रतिनियुक्ति हमारे विभाग में कठिन काम करने की मेरे हिम्मत को मदद पहुँचाने की ईश्वरीय सहायता थी .


No comments:

Post a Comment