-----------------------------------------------
कल के लेख में नारी के पत्नी रूप के महत्वपूर्ण चरित्र और उनके समुचित सम्मान के एक अजीब (इस तरह कम पढने सुनने मिलता है , इसलिए अजीब ) दृष्टिकोण से अपने विचार रखे थे . उसी के विस्तार में जाने से ऐसा लगता है कि जिस दिन हम पत्नी के ऐसे सहयोग और त्याग को समझ नत मस्तक होंगे सामजिक बहुत सी बुराइयाँ कम हो जायेंगी ...
हम पत्नी का रिश्ता जब स्वीकारते हैं , तो पति-पत्नी के बीच कुछ आपसी समझ और वचन लिए-दिए जाते हैं , पति अपनी पत्नी के प्रति पूर्ण सम्मान रखेगा तो स्वतः ही वह दूसरी स्त्री से दैहिक समबन्ध को उत्सुक ना होगा . इस तरह दुष्कर्म और अवैध संबंधों के कारण उत्पन्न कटुता , वैमनस्य और संघर्षों के अप्रिय प्रसंग में कमी आएगी .
ज्यादातर देखा गया है , जोर जबरदस्ती का नारी शोषण , अविवाहित कम विवाहित पुरुष ज्यादा करते हैं . जिस दिन अपनी पत्नी के प्रति सम्मान रख वह इस तरह की दगाबाजी अपनी पत्नी से ना करेगा तो इस तरह के अपराध स्वयं घटेंगे .
हमारा देश अपने नारी नागरिक के साथ विदेशी नारियों के लिए भी सुरक्षित होगा ..
जो मानवता भी है और समाज हित भी सिध्द होगा ...
No comments:
Post a Comment