Saturday, February 9, 2013

मानव अंगों के प्रत्यारोपण का दंड प्रावधान


मानव अंगों के  प्रत्यारोपण का दंड प्रावधान 
--------------------------------------------

मनुष्य उन्नति के पंखों  के सहारे उड़ान भरता विकास के अकल्पनीय से शिखर पर आ पहुंचा है .अभियांत्रिकी और चिकित्सा विज्ञान अत्यंत उन्नत हो गए हैं . 

अपने पारिवारिक और सामाजिक जीवन में इस यात्रा के आरम्भ से अब तक बहुत परिवर्तन करते आज जीवन शैली आधुनिक हो गई है .
आपसी प्रेम में नयापन आया तो वैमनस्य और अपराधों में भी नई खराबियों ने स्थान पाया .  चिकित्सा क्षेत्र में उन्नति से पिछली सदी से मानव अंगों का सफल प्रत्यारोपण कर पीड़ितों की आयु बढाने में सहायता मिली है  .
इन सफलताओं को ध्यान करने से लगता दंड प्रावधान पुरातन रह गये  हैं . हमें अपराधों पर मिलने वाले दंड के प्रावधान बदलते हुए समाज की पुनः संरचना करनी चाहिए . जो वैमनस्य को घटाने में सहायक हो सकते हैं  . स्वयं अपराधी के साथ अन्य के भले के भी सिध्द हो सकते हैं.

विधिवेत्ता , चिकित्सा वैज्ञानिक और समाज शास्त्री मिल हो रहे अपराधों की रोकथाम और साथ ही अपराधों की जड़ का निर्मूलन के लिए  दंड प्रावधानों में बदलाव लायें . अपराधी के शरीर के उन अंगों को निकाल जरुरत मंदों को प्रत्यारोपित करने को दंड में सम्मिलित करें .ऐसे अंग निकालने की सजा जिनसे अपराधी के जीवन को खतरा भी नहीं हो और उन्हें अपराध पुनः ना करने का सबक मिल सके . साथ ही  अन्य को भी अपराधी वृत्ति की ओर ना जाने की शिक्षा और सीख  मिलती हो विस्तृत चर्चाओं के बाद तय किये  जायें . ऐसे अंग किडनी , रक्त और नेत्र हो सकते हैं . बाद में ऐसे जघन्य  अपराधी की  जब प्राकृतिक मौत होती है उसका शव चिकित्सा विद्यार्थियों को अनुसंधान के लिए भी देना दंड में सम्मिलित किया जा सकता है

इन प्रावधानों से जो लाभ हो सकते हैं वे
निर्दोष परिजन (अपराधी के ) बेसहारा और अनाथ होने से बच सकते हैं .
मौत की सजा से उत्पन्न वैमनस्य (अपराधी पक्ष के मन में  ) से बचा जा सकता है , और प्रति क्रियाओं में फिर जघन्य अपराधों की सम्भावना कम की जा सकती हैं .
ऐसे पीड़ित जिनका जीवन अंग प्रत्यारोपित कर बचाया जा सकता है लेकिन  जिन्हें दानदाता नहीं मिलते हैं की सहायता भी की जा सकती है .
अपराधी को दंड पा ने के बाद शांत मन से पछतावे का अवसर मिल सकता है . वे उस दृष्टिकोण से अपने कृत्य पर विचार कर सकते हैं जिसमें खराबी वे अपराध करते नहीं देख पाए हैं .

दंड के इस तरह आधुनिक प्रावधान , आधुनिक समाज के अनुरूप होंगे . और समाज में शान्ति परस्पर विश्वास और सहयोग को बढाने में सहायक भी हो सकते हैं .


No comments:

Post a Comment