Saturday, December 29, 2012

महानिन्द्नीय


महानिन्द्नीय
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दामिनी नहीं पहली या अंतिम जो पुरुष अत्याचार कारण मरती
मै दामिनी कहती यह लूटा एवं मारा मुझे संस्कारहीन ,अपढ़ वे थे

सभी आप आज कहते इसे नारी विरुध्द यह अपराध जघन्यतम है
असहमत यद्यपि भोगा स्वयं किया गया जब यह क्रूरतम मुझपर

जिनका नहीं विवेक समर्थ ना मिलने से उचित नैतिक ज्ञान संस्कार
उनका जघन्य क्रूर अपराध अत्याचार अबला पर नहीं महानिन्द्नीय

जो कहलाते सभ्य ,शिक्षित और बुजुर्ग हो हुए विराजित महत्व पदों पर
महानिन्द्नीय काले कारनामे दुष्प्रेरित युवा देश के देख-पढ़ उनके दुष्कर्म

मै करती क्षमा उन्हें अब दे चुकी प्रजा सीख और सबक प्रदर्शनों जरिये
अक्षम्य है अपराध, नक़ल दुष-प्रेरणा तथाकथित नायकों से जो जन्मता


बदलो मेरे माँ, पिता ,भाई -बहन सभ्य ,पढ़े-लिखे और नायक की परिभाषा
मरती दामिनी बने इतिहास की वस्तु ना रह जाए वर्तमान और भविष्य की          

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