Tuesday, December 25, 2012

दोष स्वयं अपने जिस दिन पहचान के


दोष स्वयं अपने जिस दिन पहचान के 
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जितने हम उतने विचार किसी भी पहलु पर
आचरण ऐसा जो ना पहुचाये क्षति किसी को 
नहीं अखरता है मित्र या अपरिचित किसी को 
अतः सर्वमान्य इसलिए सदाकाल से अहिंसा  

दामिनी असम्मान प्रेरित हो रहे जो प्रदर्शन 
गर लेते प्राण या स्वास्थ्य किसी निर्दोष के 
अपराध नहीं कम वह दामिनी असम्मान से
अंतर क्या हुआ उस या इस अपराधी में तब 

पहले ने छीना जीवन स्वप्न नवयुवती का 
दूजा छीने परिवार भरण पोषण करने वाला  
अगर ना नियंत्रण आन्दोलन अभियान पर 
कृपया ना थोपो आप इस देश राजधानी पर 

भुगतता है देश अव्यवस्था पहले ही बहुत 
ना करो हिंसक आव्हान बढ़ा देते जो दुखड़े 
उचित है लें शपथ सामने स्व-अंतरात्मा के 
नहीं डिगेंगे हम सदाचार व नेक संस्कार से  

दोष व्यवस्था में दिखते हम सबको बहुत हैं 
पर दोष स्वयं अपने जिस दिन पहचान के 
राजेश करेंगे उन्हें दूर जब एक एक करके 
व्यवस्था दोष भी दूर होंगे एक एक करके 
 

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