भारत के हम हैं इसलिए बने आचार-विचार से भारतीय
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चरित्र पति का नहीं ठीक हो ,नहीं ऐसा पत्नी को भाताचरित्र-हीन पत्नी हो जाये ,नहीं ऐसा कभी पति चाहता
भारतीय संस्कृति में परिवार नींव थी विश्वास आधारित
इस धरती ,समाज में पाश्चात्य प्रभाव के बढ़ने से पहले
दाम्पत्यसूत्र सुखद निभता ,अवसाद मात्र अपवाद में होता
चंचलता पर मन की सबकी सद-प्रेरणाएं रखती थी
सर्व-मान्य , सर्व-विदित सिध्दांत पालन यह सर्वथा होता
एक पति ,पत्नी का प्रावधान ही रखा गया है संविधान में
विवाह विच्छेद ना हो तनिक मत-भेद या छोटे कारणों में
नियम ,न्यायालयीन प्रक्रिया भी हेतु अति कठिन बनाई
परतंत्रता ,बाह्य अपसंस्कृति ने विष बीज जो डाल दिए थे
आधुनिक माध्यम के प्रयोग से फैलाये स्वयं अपनों ने ही
जो ना था समाज यथार्थ , वह दर्शाया सामान्य घटना सा
औचित्यपूर्ण ठहराए जाते विवाहेतर ,विवाह पूर्व सम्बन्ध
जोर-शोर ,चमक-दमक से
नाम दिया जाता आधुनिकता
स्वछंद व्यवहार अपनाकर ,चरित्र महत्व विस्मृत हुआ
दाम्पत्य-सूत्र टूटने होते ,अवसाद
परिवार में छा जाता
लोक-नाट्य ,लोक-झांकिया ,लोक-नृत्य और संगीत में
प्रदर्शित और प्रचार कर नित दी यही जाती प्रमुख प्रेरणा
प्रदर्शित और प्रचार कर नित दी यही जाती प्रमुख प्रेरणा
दाम्पत्यसूत्र सुखद निभता ,अवसाद मात्र अपवाद में होता
चंचलता पर मन की सबकी सद-प्रेरणाएं रखती थी
अंकुश
सर्व-मान्य , सर्व-विदित सिध्दांत पालन यह सर्वथा होता
एक पति ,पत्नी का प्रावधान ही रखा गया है संविधान में
विवाह विच्छेद ना हो तनिक मत-भेद या छोटे कारणों में
नियम ,न्यायालयीन प्रक्रिया भी हेतु अति कठिन बनाई
परतंत्रता ,बाह्य अपसंस्कृति ने विष बीज जो डाल दिए थे
आधुनिक माध्यम के प्रयोग से फैलाये स्वयं अपनों ने ही
जो ना था समाज यथार्थ , वह दर्शाया सामान्य घटना सा
औचित्यपूर्ण ठहराए जाते विवाहेतर ,विवाह पूर्व सम्बन्ध
जोर-शोर ,चमक-दमक से
धीरे -धीरे धुलते गए
ह्रदय से संस्कार जो शताब्दियों से स्वछंद व्यवहार अपनाकर ,चरित्र महत्व विस्मृत हुआ
दाम्पत्य-सूत्र टूटने होते ,अवसाद
कितने भी आधुनिक हो जाएँ अगर भारतीय हो कोई तो
विस्मृत भले उपरी ह्रदय सतह से पर जड़ में बैठी गहरी
राजेश ने किया अनुभव छोटे अपने अब तक जीवन में
चरित्र प्रमुख हर परिवार सदस्य में वहां सुखी सभी होते
ना धन ,ना सुविधा अधिक दिलासा दे सकती हैं मन को
भारत के हम हैं इसलिए बने आचार-विचार से भारतीय
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