Thursday, December 27, 2012

उन्हें सार्थक होता वह सपना दिख रहा था ...


उन्हें सार्थक होता वह सपना दिख रहा था ...
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वे प्रथम श्रेणी शासकीय अधिकारी हैं , उन्हें स्वयं के छोटे छोटे कार्य करना भाता है . एक सुबह अपनी कार की घर के सामने पोर्च में सफाई कर रहे थे . तब एक युवक उनसे पूंछकर पास आया . कहने लगा सर , आपकी कार में साफ़ करने का कार्य चाहता हूँ . वे उसकी बात सुन रहे थे , उस समय उनकी तेरह वर्षीया पुत्री रिची भी यह वार्ताल...ाप सुन रही थी . वे ,कम पढ़े-लिखे , थोड़े निर्धन से उस युवक को कोई उत्तर देते उसके पूर्व रिची ने आवाज दी -- पापा एक मिनट सुनिए .. उन्होंने युवक को रुकने कहा और बेटी की तरफ बढ़ गए . रिची ने उन्हें थोडा दूर साथ ले जाने के बाद कहा , पापा -- उसे काम दे दीजिये , हमें अपने आसपास के निर्धनों की इस तरह की अपेक्षा पूरी कर देनी चाहिए .. बेटी से ऐसा सुनते हुए उनकी रूचि बढ़ी उन्होंने सिर हिलाया . रिची ने तब आगे कहा .. अगर कम पढ़े लिखे इन गरीबों को साधारण आवश्यकता का धन परिश्रम से मिल सके तो वे चोरी , जेब-कतरने का कार्य या जुएँ और अन्य बुरे मार्ग से धन बनाने का कार्य शायद न करें . उन्होंने रिची से कहा तुम सही कहती हो . तुम्हारे कहने पर में उसे कार्य दे देता हूँ . वे युवक के पास वापिस आये , उन्होंने उससे उसका अपेक्षित राशि के बारे में जानकारी ले उसे दूसरे दिन से कार्य पर रख ने की सहमति दी . युवक जब चला गया तो वे मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे ..दो बातें इस सुबह की उन्हें अच्छी लगी थी --
एक --- सुबह उन्होंने आवश्यकता-मंद घर आये को निराश नहीं किया था .
दो --- अपनी बेटी में सह्रदयता के जिन संस्कारों का बीजारोपण उसके बचपन से कर रहे थे ... उन्हें सार्थक होता वह सपना दिख रहा था .

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