Thursday, December 27, 2012

सही मार्गदर्शन से भूल का पछतावा करता चोर

सही मार्गदर्शन से भूल का पछतावा करता चोर

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पिछली सदी की सत्य घटना सुनता हूँ . धर्म श्रृध्दा रखने वाले एक सेठजी के घर रात्रि में चोर घुसा . रात्रि के सन्नाटे में उसकी आहट से सेठजी की निद्रा खुल गई . उन्हें समझ आया फिर भी वे अपने बिस्तर पर लेटे रहे . चोर की क्रियाओं को देखते अनुभव करते रहे . इधर चोर खोज खोज कर कीमती वस्तुओं को एक चादर ...में ला ला रखता गया . जब चुराई सामग्री से संतुष्ट हुआ तो चादर के सिरे बांध गठ्ठा बना लिया . जो आकार में एक व्यक्ति से उठाये जाने से काफी बड़ा हो गया . अब वह सर पर लादने के तरह तरह के यत्न करने लगा . पर असफल हो खुद पर चिढ रहा था . उसे यह नहीं सूझ रहा था की गठ्ठे में से कुछ वस्तु हटा छोटा कर ले और सुबह होने के पूर्व सुरक्षित निकल जाए . सेठ जी उसकी परेशानी भांप रहे थे . कुछ देर बाद वे उठे , उन्हें उठता देख चोर गठ्ठा छोड़ ही भागने लगा . सेठजी ने उसे स्नेह से आवाज दे रूकने कहा . डरते हुए वह रुक गया . सेठजी उसके पास पहुंचे , बोले बेटा तुमने बहुत मेहनत की है , मै देर से तुम्हें देख रहा हूँ . तुम मेहनत से जुटाई सामग्री ऐसे क्यों छोड़ जा रहे हो . आओ गठ्ठा तुम्हारे सर पर मै रखवा देता हूँ . कहते हुए वे सहायता के लिए गठ्ठे की ओर बढे . चोर को सेठजी से यह व्यवहार अपेक्षित ना था , वह ग्लानि से भर उनके चरणों में झुक गया . आँखे पछतावे के अश्रु से भरी थी .

अंत में सेठ जी ने उसे परिश्रम कर धन अर्जन को समझाया और दूसरे दिन से अपने बाग में माली के रूप कार्य पर रख लिया .

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