Friday, August 29, 2014

सूचना (प्रसारण) क्रांति आनी शेष है

सूचना (प्रसारण) क्रांति आनी शेष है
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यों तो नेट , टीवी और इलेक्ट्रॉनिक सहित प्रकाशन मीडिया का जाल और पहुँच से आज कुछ छूटा नहीं बचा है। लेकिन समाज ,देश और दुनिया में दुःख , असुरक्षा ,अपराध और अविश्वास की व्यापकता है।  ऐसा भी कह सकते हैं जितने इन माध्यमों में आधुनिक आती गई है।  उतनी ही सामाजिक समस्याओं और अपराधों में बढ़ोत्तरी होती गई है।
इन क्षेत्र (मीडिया) से जुड़े व्यक्ति अपने योगदानों से भले संतुष्ट हों ,आत्ममुग्ध हों या आर्थिक प्रगति और अर्जित प्रसिध्दि और सम्मान से सफलता  अनुभूति करते हों , लेकिन अगर  सामाजिक समस्या और अपराध तथा अविश्वास ,असुरक्षा और अशांति यदि कम नहीं की जा सकी हैं तो वह इन माध्यमों की असफलता का ही द्योतक है।
दिन भर  माध्यमों पर बकबक ,अश्लीलता के प्रसारण , लेख तथा उल्लेख, समाज में  आडम्बर ,ऐय्याशी की प्रवृत्ति और व्यभिचार को ही बढ़ावा देते हैं तो आधुनिक माध्यमों के उपयोग ( प्रस्तुतक , श्रोता और दर्शक ) की शैली पर प्रश्नचिन्ह लगता है। दोषपूर्ण  प्रस्तुतियां अधिक जिम्मेदार मानी जायेगी।
आवश्यकता है उन्नत और  आधुनिक हुये माध्यमों  की विश्वहित ,देशहित ,समाजहित और मानवता हित में प्रयोग और उपयोग की है।  जो समाज में सुख -शांति , परस्पर विश्वास और भाईचारा को प्रवाहित कर सके।


आज की हमारी पीढ़ी को यह सूचना (प्रसारण) क्रांति लानी है।  हमारा मनुष्य -जीवन दायित्व यही है।


राजेश जैन
29-08-2014

 

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