मानवतावादी /नैतिकता की मूर्ति
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जीवन में प्रतिकूलतायें भी आती है। लेखबध्द कर पब्लिश करने की सोच इस बात से प्रेरित है कि अनुकूलताओं में कई बार इन विपरीत परिस्थितियों की कल्पना नहीं करते हुये, हममें से अनेकों स्वास्थ्य ,धन और समय व्यर्थ गँवाते हैं। इस तरह के लेख जिनके दृष्टि/पढ़ने में आते हैं। वे अनायास कुछ ग्रहण कर अनुकूलताओं के दिनों में अपने को मजबूत बनाते हैं। फिर प्रतिकूलताओं का सामना कर्तव्यनिष्टा , साहस , नैतिकता और न्यायपूर्ण ढंग से करते हैं।
वे महान भी बनते हैं। समाज और पीढ़ियों का पथ-प्रदर्शन भी करते हैं।
आपके प्रोत्साहन के कमेंट , मुझमें उत्पन्न हो रही एक लेखक /विचारक/मानवतावादी और नैतिकता की मूर्ति को तराशने में सहायक होते हैं। (कृपया आत्म-प्रशंसा ना समझी जाए )
हार्दिक आभार , धन्यवाद
--राजेश जैन
08-06-2014
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जीवन में प्रतिकूलतायें भी आती है। लेखबध्द कर पब्लिश करने की सोच इस बात से प्रेरित है कि अनुकूलताओं में कई बार इन विपरीत परिस्थितियों की कल्पना नहीं करते हुये, हममें से अनेकों स्वास्थ्य ,धन और समय व्यर्थ गँवाते हैं। इस तरह के लेख जिनके दृष्टि/पढ़ने में आते हैं। वे अनायास कुछ ग्रहण कर अनुकूलताओं के दिनों में अपने को मजबूत बनाते हैं। फिर प्रतिकूलताओं का सामना कर्तव्यनिष्टा , साहस , नैतिकता और न्यायपूर्ण ढंग से करते हैं।
वे महान भी बनते हैं। समाज और पीढ़ियों का पथ-प्रदर्शन भी करते हैं।
आपके प्रोत्साहन के कमेंट , मुझमें उत्पन्न हो रही एक लेखक /विचारक/मानवतावादी और नैतिकता की मूर्ति को तराशने में सहायक होते हैं। (कृपया आत्म-प्रशंसा ना समझी जाए )
हार्दिक आभार , धन्यवाद
--राजेश जैन
08-06-2014
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