Monday, August 25, 2014

पत्नी (एक नारी )

पत्नी (एक नारी )
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एक सोचता था , ऐसा करना असंभव है , वैसा करना उसके लिये संभव नहीं है।  एक दिन उसके जीवन में पत्नी का आगमन हुआ।  पत्नी के अनुराग से , उसके सहयोग से और उसकी सद्प्रेरणाओं से धीरे-धीरे वह बदलता गया फिर वह ऐसे असंभव तरह के कार्यों को अंजाम देने लगा।  इन संभव हुए असंभवओं से उसे ज्ञात हुआ कि मानवीय सामर्थ्य बहुत होता है , यध्यपि इसकी अनुभूति और इस का विश्वास , कर गुजरने के बाद ही ज्यादा सही होता है।


वास्तव में , अनुराग (प्रेम) , सहयोग और सद्प्रेरणाओं में वह ताकत होती है। जो मनुष्य को साधारण से असाधारण और महान बना सकती है।


पत्नी को जिस तरह उपहास बनाया जाता है , वस्तुतः वह इतनी हीन नहीं होती।  उपहास वास्तव में पति की वह हीन क्षमता होती है , जिसके कारण वह  समर्पिता अपनी पत्नी के अनुराग (प्रेम) , सहयोग और सद्प्रेरणाओं का उचित प्रयोग नहीं कर पाता है।

--राजेश जैन
26-08-2014

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