Wednesday, August 6, 2014

अच्छे दिन लाना तभी संभव हो सकेगा

अच्छे दिन लाना तभी संभव हो सकेगा
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जिस प्रकार, जिस घर में पेट भरना तक मुश्किल से जुटाया जाता है। उस घर में ड्राई फ्रूट्स और फ्रूट जूस के बारे में सोचा भी नहीं जाता।  रुपये होने पर सस्ते अनाज /सब्जी की व्यवस्था कर किसी तरह पेट भर खाना चाहते हैं।

हमारे देश में व्यवस्थाओं का सामाजिक जागृति का और स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यंत अभाव है।  ऐसे में चिकित्सा क्षेत्र , सामाजिक सेवा क्षेत्र को इस तरह उत्साहित करने की आवश्यकता है जिससे इन क्षेत्रों में नागरिकों की अभिरुचि और भावना विकसित हो। देश को विकास देने के लिये इंजीनियर /तकनीक सहायकों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

प्रोत्साहन हेतु धन / ज्यादा वेतन अकेला पर्याप्त नहीं होता है।  इन क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तिओं और संगठनों आदि को सामाजिक सम्मानों से अलंकृत करने की आवश्यकता है। इस तरह के सम्मान का देश में सर्वथा अभाव है ( कोई मैकेनिज्म नहीं है ).

देश में लगभग सारे सम्मान फिल्मों /मीडिया , खेलकूद को ही समर्पित किये जाते हैं।  जिनका देश की कुव्यवस्थाओं को ठीक करने में कोई योगदान नहीं होता है।  सामाजिक उत्थान के लिए योगदान शून्य होता है।  प्रभावशाली होने से ये धन-वैभव भी अधिकतम अपने परिवारों के लिये खींच लेते हैं।  फिर धन आधिक्य में इनके कर्म और आचरण हमारी संस्कृति से बिल्कुल विपरीत होते हैं।  चर्चा में भी ये ही अधिक रहते हैं।  जिससे युवा और कम पढ़े लिखे इन्हीं के पिछलग्गू ( प्रशंसक ) रहे आते हैं। इनके जैसी अय्याशियों की नक़ल कर देश के वातावरण में संस्कृति/सांस्कृतिक प्रदूषण करते हैं. अपना कीमती समय और पैसा इनके पोस्टर / फिल्म और किताबों पर खर्च करते हैं। साफ है, अपनी खुशहाली के लिए पढाई / कार्य ना कर इन्हें सुदृढ़ करते हैं। देश का विकास सामाजिक व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर इन हालातों में उन्नति की दिशा में मोड़ पाना असंभव है।

ख़राब दिशा में बढ़ते युवा और आर्थिक/शैक्षणिक अभावों के इन हालातों को क्रांतिकारी परिवर्तन की आवश्यकता है।  शासनरत लोगों को इस हेतु समुचित चिंतन और उपाय के साथ त्याग भावना का परिचय देना आवश्यक है।  नीतियां परिवर्तित करने की आवश्यकता है.

"अच्छे दिन लाना तभी संभव हो सकेगा"।

राजेश जैन
06-08-2014

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