जीवन सार्थकता से जीना
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पिछले दिनों अस्पताल गया था। एडमिट एक पेशेंट से आत्मीय वार्तालाप हुआ। वे दस दिनों से I C U में रहकर उस दिन डिस्चार्ज किये जा रहे थे । उन्होंने बताया - वे बैंक में अधिकारी हैं। कैंसर रोग से पीड़ित हैं। चार ऑपरेशन हो चुके हैं। इस बीच में उन्होंने ड्यूटी में प्रतिबध्दता बना रखी है। और इस रोग के आने के बाद भी 2 प्रमोशन प्राप्त किये हैं।
पीड़ामयी मुस्कान के साथ मुझसे अंतिम बात कहते हैं। "मरना है , लेकिन मरने से पहले जीना नहीं छोड़ूँगा " .
नमन इस साहस को ,आपके सोनी जी (उनका सरनेम) . आपकी अनुकरणीय इस भावना का प्रचार करते हुये ही मै आपको , अपने श्रध्दा सुमन अर्पित कर सकता हूँ।
-- राजेश जैन
06-08-2014
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पिछले दिनों अस्पताल गया था। एडमिट एक पेशेंट से आत्मीय वार्तालाप हुआ। वे दस दिनों से I C U में रहकर उस दिन डिस्चार्ज किये जा रहे थे । उन्होंने बताया - वे बैंक में अधिकारी हैं। कैंसर रोग से पीड़ित हैं। चार ऑपरेशन हो चुके हैं। इस बीच में उन्होंने ड्यूटी में प्रतिबध्दता बना रखी है। और इस रोग के आने के बाद भी 2 प्रमोशन प्राप्त किये हैं।
पीड़ामयी मुस्कान के साथ मुझसे अंतिम बात कहते हैं। "मरना है , लेकिन मरने से पहले जीना नहीं छोड़ूँगा " .
नमन इस साहस को ,आपके सोनी जी (उनका सरनेम) . आपकी अनुकरणीय इस भावना का प्रचार करते हुये ही मै आपको , अपने श्रध्दा सुमन अर्पित कर सकता हूँ।
-- राजेश जैन
06-08-2014
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