पिछले 72 साल के यहाँ और वहाँ के घटना क्रम देखने से यह तो तय होता है कि - विभाजन, समाधान था ही नहीं
प्रश्न आ खड़ा हुआ है कि -क्या?
विभाजन की भूल को सुधार करने के लिए,
फिर एक राष्ट्र होने की,
संभावना तलाशी जाये!
जिसके जी में जो आये
आज सब कह रहे हैं
है कोशिश राष्ट्र के चिंतक दिखाई देने की-
मगर ऐसे दिखाई नहीं दे रहे हैं
जितने सुरक्षा व्यय वहाँ से होते,नूसेन्स से निबटने के लिए करने पड़ते हैं
1 राष्ट्र होते तो उतने में विकास की गंगा वहाँ भी बहा सकते थे
क़ानून को क़ानून जैसा स्वीकार करने
और
अपना दिमाग अपने कर्तव्य पूरे करने में लगाने से ही
स्वयं और अन्य भी खुशहाल होंगे समझना होगा
प्रश्न आ खड़ा हुआ है कि -क्या?
विभाजन की भूल को सुधार करने के लिए,
फिर एक राष्ट्र होने की,
संभावना तलाशी जाये!
जिसके जी में जो आये
आज सब कह रहे हैं
है कोशिश राष्ट्र के चिंतक दिखाई देने की-
मगर ऐसे दिखाई नहीं दे रहे हैं
जितने सुरक्षा व्यय वहाँ से होते,नूसेन्स से निबटने के लिए करने पड़ते हैं
1 राष्ट्र होते तो उतने में विकास की गंगा वहाँ भी बहा सकते थे
क़ानून को क़ानून जैसा स्वीकार करने
और
अपना दिमाग अपने कर्तव्य पूरे करने में लगाने से ही
स्वयं और अन्य भी खुशहाल होंगे समझना होगा
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