कोई न कोई नज़रिया यहाँ
जरूर होता है जिसमें
बहुत अच्छी बात भी कोई
महज़ बेवकूफी लगती है
बात अपनी जरूर कहिये
मगर इस बात को तैयार रहिये
होंगे अपने कुछ यार जरूर जो
कही को बेवकूफ़ी बतायेंगे
वह तो ख़ुदा भी नहीं
जिसके वज़ूद पर सब को एतबार हो
कोई न देता अहमियत तुझे
मतलब ये नहीं कि तेरा कोई वजूद नहीं
मेला है मंदिर में मगर
वहाँ भगवान अकेला है
स्वारथ के जगत में समय किसी को
उसकी सीख समझने का नहीं
जरूर होता है जिसमें
बहुत अच्छी बात भी कोई
महज़ बेवकूफी लगती है
बात अपनी जरूर कहिये
मगर इस बात को तैयार रहिये
होंगे अपने कुछ यार जरूर जो
कही को बेवकूफ़ी बतायेंगे
वह तो ख़ुदा भी नहीं
जिसके वज़ूद पर सब को एतबार हो
कोई न देता अहमियत तुझे
मतलब ये नहीं कि तेरा कोई वजूद नहीं
मेला है मंदिर में मगर
वहाँ भगवान अकेला है
स्वारथ के जगत में समय किसी को
उसकी सीख समझने का नहीं
No comments:
Post a Comment