Tuesday, November 26, 2019

यार का वेश धर कर यहां, लोग बहुत मिलते हैं
दगा खाकर उनसे, हम चारों खाने चित गिरते हैं

वह आदर्श जिसे पढ़ पाना ही होता बहुत मुश्किल
है कल्पना, उसे जी पाना होगा कितना मुश्किल

No comments:

Post a Comment