Tuesday, November 19, 2019

एकांकी - क्लॉस मॉनिटर, सेफा .. ..

एकांकी - क्लॉस मॉनिटर, सेफा .. ..

अवकाश प्राप्त, प्रथम श्रेणी अधिकारी रहीं तनुजा, अब अतिथि शिक्षक की तरह, स्कूल जाया करती हैं। आज वे शासकीय शाला में कक्षा आठ के विद्यार्थियों की नैतिक शिक्षा का विषय ले रहीं हैं। कक्षा में लगभग 40 छात्र-छात्रायें हैं वो कोर्स से अलग इंटरैक्टिवली एक टॉपिक लेना चाहती हैं।

तनुजा: बच्चों, आज हम 'जनसँख्या एक समस्या' पर चर्चा करेंगे, यह पाठ्यक्रम में नहीं है इसलिए मैं बताती जाऊँगी और उस पर आपमें से जिसके मन में जो प्रश्न आएगा वो मुझसे पूँछ लेगा, समझे?
समवेत स्वर गूँजता है, 'जी मैडम'!
तनुजा: बच्चों मालूम है, लगभग सत्तर साल पहले जब देश स्वतंत्र हुआ था, आबादी सिर्फ 30 करोड़ थी और आज कितनी है? (प्रश्नवाचक निगाहें क्लास पर करती हैं) .
मोबेशिरा : खड़े होकर, जी मैडम 1 अरब 30 करोड़!
तनुजा: बच्चों यह भी एक कारण है, जिससे हमें मिली स्वतंत्रता में हमें जैसा खुशहाल वातावरण बनाना था, वैसा हम अब तक बना न सके हैं।
अमन : और अन्य कारण क्या हैं मैडम कि हम खुशहाल न हो सके?
तनुजा: अमन, देश का विभाजन होना, दूसरा बड़ा कारण है, लेकिन पहले  यहाँ जनसँख्या पर  केंद्रित रहेंगे। जानते हो बच्चों हमारा देश विश्व की पूरी जनसँख्या में 17.71% की हिस्सेदारी रखता है जबकि देश का भौगोलिक क्षेत्रफल विश्व का मात्र 2.4%  है।

अनन्या : इसका अर्थ हम क्या लें, मैडम?
तनुजा : अनन्या, तुम्हारा घर और तुम्हारी सहेली का घर बराबर है, और दोनों घर की आमदनी समान है, मगर तुम 2 भाई-बहन हो और सहेली, 5 भाई-बहन हैं तो क्या होगा? सोच सकती हो?
अक्षय : जी मैडम, अनन्या के घर में पढ़ने को अलग कक्ष मिलेगा, सहेली को नहीं। और अनन्या के कपड़े,खाना, कार आदि सहेली से अच्छी होंगी।
अनन्या : और मैडम , मेरी मम्मी काम से थकेंगी नहीं मेरे पापा को अनैतिक रूप से कमाई करने का दबाव भी नहीं होगा।
तनुजा : सही समझा तुमने, सभी बच्चों को समझ आया?
समवेत स्वर गूँजता है, जी मैडम जी।
राजीव : मगर मैडम, मेरे पापा को इतनी सरल बात की समझ क्यूँ नहीं रही?, हम छह भाई-बहन हैं! 

तनुजा : बेटा ये अशिक्षित होने से होता है। धर्म के नाम राजनीति करने वाले अपने सम्प्रदाय की जनसँख्या बढ़ाने के लिए उकसाते हैं, जिसे शिक्षा के अभाव में तर्क बुद्धि नहीं होने से अशिक्षित समझ नहीं पाते हैं कि ऐसा करने पर उन्हें क्या अभाव रहेंगे और देश पर कितना भार पड़ेगा !

हरदीप : (शरारत से चिढ़ाते हुए) राजीव, के इतने सारे भाई-बहन!
(क्लॉस में बच्चों की हँसी, गूँजती है)
तनुजा: (हाथ के इशारे से चुप कराती हैं, फिर कहती हैं) देखो बच्चों, किसी को इस तरह चिढ़ाना ठीक नहीं होता, विशेषकर उन बातों के लिए, जिन में उनका स्वयं का कोई दोष नहीं होता। हमारे इस तरह चिढ़ाने से राजीव के मन में बैर, नफरत का बीज पड़ सकता है।
राजीव : (हरदीप की बात और हँसी को अनसुना करते हुए पूछता है) मैडम, अनन्या ने अनैतिक कमाई की जो बात की है, क्या ये सिर्फ कमजोर परिस्थिति के लोग ही करते हैं?
तनुजा: (खुश होते हुए) देखो बच्चों, राजीव ने हरदीप से, और हँस रही क्लॉस से चिढ़ते या उकसावे में नहीं आते हुए, कितना अच्छा प्रश्न उठाया है, इसे कहते हैं शिक्षा से तर्क बुध्दि ग्रहण करना, (फिर निर्देश के स्वर में) सब बच्चों राजीव के लिए क्लैपिंग करो।

(क्लास में तालियों की आवाज गूँजती है. फिर तालियाँ थमती है, तब)
वसीम : मैडम आपने, मन में बैर, नफरत के बीज का उल्लेख किया हमारे देश में यह बहुत पाया जाता है, इसका क्या कारण है?
तनुजा : ( थोड़ी चकित होते हुए) बच्चों, आपसे जो प्रश्न आ रहे हैं, वे थोड़ी बड़ी कक्षाओं के स्तर के हैं लेकिन इन्हें मैं सरलता से समझाने का प्रयास करुँगी, ये हैं 

1. अनैतिक धन अर्जन क्या सिर्फ अभाव ग्रस्त लोग करते हैं?, और  

2. देश में नफरत बैर की व्यापकता के कारण। 

लेकिन पहले मैं पूछती हूँ, हमने अब तक चर्चा की है आप बच्चों ने उसका सार क्या समझा है?  (फिर - सेफा के तरफ ऊँगली के इशारे के साथ) सेफा, तुम क्लॉस मॉनिटर हो तुम बताओ।

सेफा :  (खड़ी होती है, फिर विचारपूर्वक कहती है) मेम, "हमारे देश का विस्तार, दुनिया के भूभाग के सिर्फ 2.4 हिस्से में होते हुए, इसमें दुनिया की आबादी का 17.71 हिस्सा निवास करता है। जिससे हम, भारत के नागरिक, समस्याओं में जीवन यापन करते हैं। अशिक्षा से, और स्वार्थी उकसावों में आकर हम, तार्किक सोच नहीं रखते हुए, स्वयं अपने परिवार पर अभाव आमंत्रित करते हैं। फिर अनैतिकता से कमाते हुए समाज पर अन्य समस्यायें थोपते हैं। हम अपने मनोविनोद, हँसने के लिए औरों की कमजोरी को लक्ष्य कर ताने देकर, उनके मन में घृणा और नफरत के बीज डालते हैं, फिर उस वातावरण में सौहार्द्र नहीं होने से जीवन में मिल सकने वाले सुख से वंचित रहते हैं और अपने साथ ही, औरों के आनंद को भी क्षीण करते हैं।"

(कह कर सेफा चुप होती है, बच्चों की तालियों की गड़गड़ाहट में स्वयं तनुजा ताली बजाती हैं फिर)

तनुजा : (अचरज से, तथा प्रशंसनीय दृष्टि से निहारते हुए) सेफा, तुम क्यों क्लॉस मॉनिटर हो, तुमने अपनी इतनी सटीक व्याख्या से इसे सिध्द किया है, मैं स्वयं ऐसे स्टूडेंट्स के बीच होने से गौरव अनुभव कर रहीं हूँ, मुझे उत्साह मिला है कि मैं चर्चा में उभरे प्रश्न के उत्तर में आप सब को समझाऊँ।         


(क्रमशः जारी) 
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
19.11.2019

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