Wednesday, November 20, 2019

एकांकी - क्लॉस मॉनिटर, सेफा (2) ..

एकांकी - क्लॉस मॉनिटर, सेफा (2) ..

(कक्षा में, बच्चों को पाठ्यक्रम से बाहर का टॉपिक बहुत रूचिकर लग रहा है, उनकी जिज्ञासा तनुजा मैडम की ओर है कि अब वह क्या कहने वाली हैं, तब)
तनुजा : बच्चों समाज में नफरत एवं बैर का होना प्राचीन काल से होता आया है, लेकिन आज व्याप्त, नफरत का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। 'आज की नफरत' जो हमारे उपमहाद्वीप के लोगों के ह्रदय को झुलसा के रखी हुई है, उसकी बुनियाद, आज से लगभग 72 वर्ष पूर्व अँगेजों के द्वारा रखी गई है। तुम जानते हो बच्चों, अँगेजों ने हमें लगभग दो शताब्दियों तक 'परतंत्रता की जंजीरों' में जकड़ा हुआ था। लेकिन जब 'स्वतंत्रता आंदोलन' से, उनका भारत पर शासन करना मुश्किल हो गया तो उन्होंने हमारे 'संप्रदायगत, भिन्न धार्मिक भावनाओं को कुटिलता से हवा दे दी'। तब धार्मिक उन्माद और कुछ व्यक्तियों की 'शासक बनने की व्यक्तिगत महत्वाकाँक्षाओं' ने हमारे देश के भोले भाले नागरिकों को 'विभाजन का अभिशाप' झेलने को बाध्य कर दिया। (थोड़ी चुप्पी लेती हैं, तब)
मोबेशिरा : मैडम, विभाजन, 'एक अभिशाप' या 'भीषण नफरत' की बुनियाद कैसे हुआ?
तनुजा : देश में इस विभाजन के बाद, नागरिकों को रहने का विकल्प चयन करना था। एक संप्रदाय के अधिकाँश लोगों ने 'नई खींच दी गई सीमा' के उस पार जाने का विकल्प चुना, वहाँ के इस संप्रदाय से अलग लोगों ने सीमा के इस पार आना चाहा था।
शालीन : इसमें बुरा कैसे हो गया?
तनुजा : दुर्भाग्य, इधर आने और उधर जाने के क्रम में अब तक, एक ही देश के, वासी रहे 'हमारे ही लोगों पर, कुछ शैतान लोगों ने अत्याचार, लूट एवं दुष्कृत्य बरपा कर एक कलंकनीय इतिहास बना डाला''नारी अस्मिता जो हर संप्रदाय को एवं हर परिवार में अपने पारिवारिक सम्मान, प्रतिष्ठा का प्रश्न होता है, उस पर लक्ष्य एक-दूसरों ने किया।' जिसका स्मरण आज तक भुलाये नहीं, भूलता और यही हादसे, आज भी, आपस में भीषण नफरत व्याप्त होने के कारण होता हैं।
अनन्या : यह नारी अस्मिता क्या होती है।
तनुजा : इसे कुछ बड़े हो जाने पर तुम समझोगी। अभी के लिए इसे यूँ समझो कि 'नारी अस्मिता ही मनुष्य समाज को जानवरों से भिन्न बनाता है, कहने को तो यह नारी अस्मिता है, मगर पुरुषों को भी अपनी मर्यादा में रहने को प्रेरित करती है, ऐसे कि वह अपने परिवार की नारी अस्मिता के महत्व को स्मरण रखे और स्वयं अन्य परिवार की नारी अस्मिता पर आँच आते कोई कृत्य ना करे। 'अमन : मैडम आपने पहले कहा है स्वतंत्रता के बाद खुशहाली का वातावरण, देश विभाजन के कारण नहीं बन सका, दो देश बन गए और अब 70 साल से अधिक हो गए तब खुशहाली में अड़चन क्या है?
तनुजा : (प्रशंसा से) अच्छा प्रश्न है अमन! कारण यह है कि विभाजित हुए दूसरे देश के शासक, अपना शासक होना सुनिश्चित करने के लिए, वहाँ के अशिक्षित लोगों को, 'बँटवारे के समय किए गए वहाँ के लोगों के दुष्कृत्यों के बारे में कुटिलता से छिपाते हुए सिर्फ हमारे लोगों का दुष्कृत्य ठहराते हैं', और इसका बदला लेना आवश्यक बताते हैं।
हरदीप : उस देश में वे क्या करते हैं, इससे हम पर दुष्प्रभाव क्या पड़ता है, मैडम ?
तनुजा : सीधे नहीं लड़ सकने की अपनी ताकत वह देश पहचानता है, इसलिए 'धार्मिक उन्माद उकसा कर नवयुवाओं को आतँक फ़ैलाने का प्रशिक्षित करता है, और उनका इस्तेमाल कर उनके प्राणों की कीमत पर हमारे देश में हिंसा और भय का वातावरण निर्मित करता है', जिसे रोकने के लिए हमें अपनी सैन्य ताकत और हथियारों पर अपने देश का बहुत बजट व्यय करना होता है। इस व्यय से हमारे विकास के कार्यों के लिए धन उपलब्धता कम हो जाती है। ऐसे स्वतंत्र होकर भी हम स्वतंत्र हो जाने के बाद की खुशहाली से वंचित रहते हैं। (थोड़ी चुप्पी ले कर विद्यार्थियों को निहारती हैं, फिर प्रश्न की मुद्रा में कहती हैं) बच्चों, समझ आया?     (कक्षा में समवेत स्वर गूँजता है, जी मैडम, तब सेफा की ओर लक्ष्य करते हुए, पूछती हैं) सेफा, क्या इस चर्चा का सार कह सकोगी?
सेफा : जी मेम, (कहते हुए खड़ी होती है, और कहती है) - "भारत पर शासन छोड़ने की कुंठा वश अंग्रेजों ने कुटील चाल चली और कुछ लोगों की शासन करने की महत्वाकाँक्षा जागृत कर दी, जिससे देश के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय हुआ। इससे भी ज्यादा उपमहाद्वीप का दुर्भाग्य, यह रहा कि कुछ लोगों पर वहशियत सवार हुई जिन्होंने उधर से इधर और इधर से उधर आते परिवारों पर लूट,हत्या और दुष्कृत्यों को अंजाम दिया। 'पहले के मानव ज्यादा भले होते थे, हमारी इस धारणा के विपरीत', उनके अपने परिवार के लिए नारी अस्मिता कितनी महत्वपूर्ण होती है उसे भूल ,उन्होंने देश बदल रहे परिवारों की नारी की अस्मिता तार तार कर दी। ये हत्यायें और ये दुष्कृत्य भुला सकना निश्चित ही बहुत कठिन था। इसलिए इसका दुःखदाई स्मरण आज भी दोनों संप्रदाय को नफरत से भर देता है। किंतु उन हादसों को 70 साल से अधिक हुए हैं, जिन्होंने वे घिनौने कृत्यों को स्वयं अपने परिवार पर होते देखा और भुगता है, वे बेचारे अब इस दुनिया में रहे भी नहीं हैं। ऐसे में अपने पक्ष की  करतूतों को भुला देना और दूसरे की याद रख कर बैर और नफरत के बहाने , आतँक का तांडव और युध्द का आसन्न संकट बनाये रखना, उनकी अब की संतति/पीढ़ी के साथ अन्याय है जो जीना चाहती है, जीवन मिला है उसे सार्थक करने की चाहत रखती है, जिसका विभाजन पर हुए वहशीपने से कोई वास्ता नहीं है। (विचार पूर्वक सेफा की भृकुटियों पर बल पड़ते हैं आवाज और बुलंद होती है) अगर अपने किये को भुला दिया है तो कोई बात नहीं अब समय अन्य के किये को याद रख नफरत में जलने/जलाने का नहीं अपितु उसे भी भुला देने का है। ताकि आतँक और युध्द के खतरे से निश्चिंत रह कर आज की पीढ़ी इस महाद्वीप के जीवन को उच्च मानवीय संवेदनाओं सहित संमझने में समर्थ हो और एक दूसरे के लिए खतरा न बनते हुए सहयोगी कार्यों से यहाँ भी पाश्चात्य देशों सा विकास ,व्यवस्था और खुशहाली देने में समर्थ हो सके। "   
(तनुजा सहित पूरी कक्षा सेफा का ओजस्वी कथन, मंत्रमुग्ध सी सुनती है, सेफा के चुप होने पर, तालियों से कक्षा तब गुंजायमान हो उठती है)
तनुजा : (भावाभिभूत होते हुए, तालियाँ रुकने पर ) कहती है, वाह, सेफा में धन्य हुई हूँ, तुमने मेरी 'बात को नई पीढ़ी की अभिलाषाओं से मिलाते हुए' कितना अच्छा सार निकाल कक्षा के सम्मुख रखा है.

(क्रमशः जारी)
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
21.11.2019

No comments:

Post a Comment