Sunday, November 24, 2019

स्वाभिमान ..

स्वाभिमान ...

गणेश, मैसूर के पास के अब्बूरु गाँव का रहने वाला है। आरंभिक विद्यालयीन शिक्षा उसके गृह ग्राम अब्बूरु में ही और फिर मैसूर में हुई है। कुशाग्र बुध्दि का होने के कारण उसने #CLAT में सफलता के बाद  उसके पापा ने उसे #NLSIU में प्रवेश दिलाया था। पढ़ते हुए ही वह #उत्तर_भारतीय सहपाठी सौम्या के प्रति आकर्षित हुआ था। प्रारंभ में सौम्या की गणेश में कोई रूचि प्रदर्शित नहीं हुई थी। लेकिन गणेश के #इक_दूजे_के_लिये वाले अंदाज में लगे रहने से, कोर्स पूर्ण करने में सफल होते होते वह, सौम्या के हृदय में भी अपने प्रति प्यार का बीज बो देने में सफल हुआ था।
गणेश ने जब हाईकोर्ट में वकालत करनी शुरू की थी, तब सौम्या जज होने की तैयारी में लगी थी। उस समय उन्होंने विवाह करना चाहा था लेकिन दोनों के घर में अपने अपने टैलेंटेड बच्चों के लिए अपने ही जाति में बेहतर रिश्ते होने से, सहसा विवाह को स्वीकृति नहीं मिल रही थी। तब गणेश ने जिस जिद से सौम्या के हृदय में प्यार के पुष्प खिलाये थे, उसी जिद से उसने, अपने एवं सौम्या के घरवालों को विवाह हेतु सहमत किया था।
दोनों का विवाह होने के साथ साथ, सौम्या जज होने में भी सफल हो गई थी। इस तरह प्रेम विवाह की नींव पर इनके  नये परिवार की रचना हुई थी।
दोनों के लालन पालन में #पृष्ठभूमि, #ग्रामीण/नगरीय और उत्तर/#दक्षिण_भारतीय के होने की भिन्नता के अलावा, इस #नवसृजित #दांपत्य के सफल होने के लिए, सारे कारण विध्यमान थे। दोनों #लव_बर्ड इस तरह इक दूजे में खोये थे कि आरंभिक छह मास का बीतना तो इन्हें पता ही न चल सका था। तदोपरांत मगर इक दिन - (आगे की कहानी 3 दृश्य के माध्यम से)

दृश्य-1

#रॉयल_मीनाक्षी_मॉल, के #एलन_सोली शॉप में गणेश और सौम्या जीन्स देख रहे हैं तब :-
 गणेश : सौम्या, तुम जीन्स नहीं कुछ और ले लेना।
सौम्या : (प्रश्नमय दृष्टि से) मेरे, जीन्स क्यूँ नहीं?
गणेश : यहाँ नहीं, इस बारे में घर पर बात करेंगे।
सौम्या के मुख पर एवं कंधे उचकाने से भावभँगिमा में विचित्रता की अनुभूति दर्शित होती है। 

दृश्य-2

रात बेडरूम में गणेश और सौम्या साथ लेटे हुए बात कर रहे हैं :- 
सौम्या : आपने मुझे जीन्स क्यों नहीं लेने दिये?
गणेश : सौम्या, हमारे पापा-मम्मी को, तुम्हें बहू के रूप में  जीन्स टॉप में देखना अच्छा नहीं लगता है।
सौम्या : ऐसा क्यों?
गणेश : वे इसे #नारी_गरिमा के अनुकूल नहीं मानते है।
सौम्या : आप पहनो गरिमा का सवाल नहीं, मैं पहनूं सवाल है, ये अजीब नहीं है? आप तर्क से समझाओ उन्हें।
गणेश : समझो ना, तुम्हारे ऐसे पहनावे पर, गाँव के लोग टीका करते हैं, उन्हें अप्रिय लगता है।   
सौम्या : आप, कॉलेज में मेरे जींस के पहनावे में देख मुझ पर #रीझे थे, #विवाह बाद इतना बदलने क्यों कहते हो? 
गणेश : (रुष्टता से) देखो, तुम यहाँ #जज नहीं बनो!
सौम्या : आप, क्या मुझे अब से ये #ताना दिया करोगे?
गणेश : (गुस्से से करवट दूसरी ओर लेते हुए) यार, सच में औरतों का दिमाग छोटे आकार का होने से छोटा ही होता है!
यह पहली बार उनमें #कडुआहट भरी #अप्रिय घटना का मौका था जिसने सौम्या को अचंभित किया था और रोष में भर दिया था । वह दूसरी ओर करवट लेकर सोने का प्रयास करती है। 

दृश्य-3

 पिछले तीन दिनों से सौम्या, गणेश की हर बात के जबाब में चुप्पी लगा कर #प्रतिरोध दर्शा रही है। गणेश के द्वारा उसे छूने की कोशिश में उसे झटक दे रही है। आज रात वे फिर साथ बेड पर लेटे हैं मगर सौम्या का मुख गणेश से विपरीत दिशा में है।
गणेश : (चिरौरी वाले स्वर में) सौम्या, सॉरी!
सौम्या : ( रुष्ट स्वर में) उस दिन क्या कहा था, आपने औरतों का दिमाग छोटा होता है! 
गणेश : ( खिसियाहट भरी हँसी के साथ, मनाता सा हुआ) हाँ, यह तो 'विज्ञान प्रमाणित सत्य है कि पुरुष की तुलना में स्त्रियों का दिमाग 10% छोटा होता है।' 
(यह सुन सौम्या उठकर बेड के सिरहाने से टिक कर बैठती है, गणेश भी अब उसके सामने बैठ जाता है)
सौम्या : (तर्कपूर्ण स्वर में) आपको पता है?, 'महान वैज्ञानिक #आइंस्टीन का दिमाग, पुरुषों के दिमाग से छोटा था।' 
गणेश : था तो, अपवाद है यह।
सौम्या : मैं यह कहना चाहती हूँ कि 'दिमाग के आकार से उसमें #कुशाग्रता का कोई संबंध नहीं!'गणेश : (सौम्या में आई नरमी से उत्साहित होते हुए) चलो, छोड़ो इसे सौम्या, मैंने पहले ही क्षमा तो माँगी है ना!
सौम्या : #क्षमा तो मैं करुँगी #वकील_साहब आपको, लेकिन विवाद में सही तय करते हुए मुझे फैसला तो देना होगा!
गणेश : (खुश होते हुए, हाथ जोड़कर) मी लार्ड: सुना दीजिये फैसला, मैं अमल करूँगा!
सौम्या : अमल तो आपको करना ही होगा अन्यथा आगे कड़ी सजा निर्धारित होगी।
गणेश : जी, वादा,आप सुनाइये फैसला!
सौम्या : (न्यायालय के जज वाली मुद्रा धारण करते हुए), वाद में पक्ष की दलील और तथ्यों को ध्यान में रख यह #अदालत इस नतीजे पर पहुँची है "कि #मुल्जिम गणेश ने अधूरे #तथ्य के सहारे से अपनी पत्नी को नारी बताते हुए स्वयं को पुरुष होने के नाते उससे ज्यादा दिमागदार बताने का प्रयास किया है। इस तरह #हावी होने की कोशिश की है। जबकि नारी का दिमागी तौर पर प्रदर्शन यदि कहीं कम भी दिखाई पड़ता है तो उसका कारण दुनियादारी में उसे कम #एक्सपोज़र एवं #शिक्षा की कमी होना रही है। अतः यह अदालत गणेश को उसकी पहली गलती मानते हुए माफ़ तो करती है मगर -#नारी जो #सहस्त्रों वर्षों से #आश्रिता होकर जीवन जीते रही है, उसके मन में चतुराई से पुरुष ने अपनी सुविधा के आधार पर, सही-गलत की व्याख्या करते हुए #धारणायें बिठाने में सफल रहा है, जिसमें नारी भी स्वतः अपने को पुरुष से #हीन मानने लगी थी।  मुल्जिम गणेश जो स्वयं #अधिवक्ता है, यह अदालत उसे आदेशित करती है कि वह अपने #परिवार/#गाँव वालों में #तर्कपूर्ण तथ्य रखते हुए उनमें #चेतना लाये कि नारी #मस्तिष्क की #क्षमता में #पुरुष से कमजोर नहीं है। साथ साथ ही वह अपनी तर्क शक्ति से समाज में व्याप्त ऐसी #भ्रामक धारणाओं को मिटाने का कार्य करे। इसके अतिरिक्त आगे भूल नहीं करते हुए गणेश, अपनी पत्नी को अपने बराबर का मनुष्य मानते हुए उसके #स्वाभिमान को ठेस लगाने का कोई कार्य नहीं करे। "(फिर हथेली से हथोड़े ठोकने की भँगिमा के साथ)  इसके साथ ही यह अदालत स्थगित की जाती है।
सौम्या के इतने कहने के साथ पिछले दिनों में उनमें आई कडुआहट दूर होती है। दोनों खिलखिलाकर हँसते हैं। तब सौम्या, गणेश के निकट सरकते हुए उसके कंधे पर अपना सिर रखती है, गणेश प्यार से उसके माथे का चुंबन लेता है।   

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
24.11.2019
    

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