Tuesday, July 30, 2019

गरिमा - दांपत्य बुनियाद

गरिमा ..

30 वर्षीय सफल, कार्यालय की लिफ़्ट में आठवे तल पर जा रहा था. प्रथम तल पर एक लगभग 35 वर्षीया युवती ने लिफ़्ट में प्रवेश किया। एक दृष्टि उसने सफल पर डाली और फिर सफल के आगे, पीठ किये हुए खड़ी हो अपने मोबाइल में तल्लीन हो गई। उसे भी आठवे तल ही जाना था। युवती जो शायद उसी की कंपनी में किसी और विभाग में नई पदस्थ हुई थी, ने पूर्ण शालीनता से कार्यालीन शिष्टाचार (डेकोरम) अनुकूल साड़ी धारण कर रखी थी। लिफ्ट में सफल को करने के लिए कुछ नहीं था, जिससे उसकी दृष्टि युवती के पृष्ठ भाग पर पड़ गई। उसके शालीन पहनावे में भी जिसका आकर्षण छिप नहीं सक रहा था। वह सुंदरता सफल को इतनी लुभा गई की एकबारगी उसका मन प्यार से सहला देने को कर गया। यह एक संयोग रहा कि आठवे तल तक लिफ्ट में वे दोनों ही रहे। हालाँकि सफल अपने पर नियंत्रण कर लेने में सफल हुआ। मगर आठवे तल पर पहुँचने के पहले सफल - "एक्सक्यूज़ मी, आप पर साड़ी बहुत आकर्षक लग रही है" कहने से नहीं रोक सका। युवती ने न तो बिल्कुल शुष्क और न ही कोई उत्साहवर्धक लहजा रखते हुए इस प्रशंसा के उत्तर में थैंक यू, रिप्लाई किया। फिर आठवा तल आ गया, युवती एक ओर, और सफल दूसरी तरफ अपने कक्ष में चला गया।  फिर दिन भर के कामों में इस सब को वह भूला रहा। 
रात्रि,  ऑफिस और गृह कार्यों से थकी माँदी नयना (पत्नी) जब उसकी तरफ पीठ किये गहन निद्रा में जा चुकी थी, सफल को लिफ्ट वाली घटना याद हो आई। उसका मन अपने व्यवहार का विश्लेषण करने लगा। उसके विचार में आया, शायद दूसरे युवकों को #मीटू का भय या #एचआर का भय संयत करता है, जिससे कार्यालय में नारी के लिए निर्भय वातावरण सुनिश्चित होता है। मगर सफल के लिए संयत होने के लिए यह ख्याल पर्याप्त है कि नयना एवं उसकी बहन शैली भी उस युवती की तरह ही कार्यालयों में कार्यरत हैं। सफल का संयत व्यवहार एक ओर उस युवती के आत्मसम्मान को बनाये रखता है वहीं दूसरी ओर नयना के प्रति उस विश्वास को पुष्ट करता है, जिसकी बुनियाद पर उनका दांपत्य बंधन मजबूत होता है। 
सफल को एक ओर विचार यह आया कि  -
"वह पौधे पर खिले एक सुंदर पुष्प को तोड़ उसकी सुगंध को जल्द ही नष्ट करने के अपराध से बचा है, उसने पुष्प को उसकी पूरी उम्र तक की सुगंध बिखेरते रहने के अवसर को सुलभ किया है"
फिर वह भी निद्रा के आगोश में जा समाया।  

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
31-07-2019

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