Monday, July 22, 2019

भाग के शादी करने वाली ज़रीन

भाग के शादी करने वाली ज़रीन
-----------------------------------

आशीष के पड़ोस में रहता था इक मुस्लिम परिवार, जिसमें एक बेटी ज़रीन थी। आशीष जिन दिनों अपनी स्टडीज़ के प्रति गंभीर था, उन्हीं दिनों ज़रीन उससे एकतरफा प्यार अपने दिल में पाल बैठी थी, जिसका आभास आशीष को तब हुआ था जब अपनी स्टडीज़ के बाद, जॉब ज्वाइन करने हैदराबाद जाने के लिए वह घर से विदा हो रहा था। उस समय अपने घर, दरवाज़े पर खड़ी ज़रीन की आँखे उसने भीगी देखी थी।
अश्रुओं से भीगी वे आँखे उसके दिल में कुछ कर गई थीं। उसके बाद आशीष के हॉलीडेज में घर आने जाने के समय में दोनों के बीच प्यार पनप गया और ज़रीन के घर में आशीष से शादी की रजामंदी नहीं होने पर एक दिन ज़रीन अचानक हैदराबाद आ गई। आशीष द्वारा समझाये जाने पर भी वह वापिस घर लौटने को तैयार नहीं हुई। आशीष ने अपने पापा-मम्मी को यह बताया, जिन्होंने गोपनीय तरीके से ज़रीन के अब्बा को यह जानकारी दी. उन्हें राजी करने का प्रयास किया कि वे आशीष-ज़रीन के विवाह को राजी हो जायें। ज़रीन के अम्मी-अब्बा गुस्से में थे उन्होंने सहमति तो नहीं दी लेकिन इस घटना के कहीं जिक्र न करने का निवेदन किया, अन्यथा इससे आशीष-ज़रीन दोनों के जान पर बन सकती है, बताया। बाद में हैदराबाद में आशीष - ज़रीन ने कोर्ट-मैरिज कर ली। अपने फ्रेंड्स में आशीष ने ज़रीन को अपनी बचपन की मोहब्बत और नाम अश्रुना बताया। यहाँ ज़रीन के पापा ने पहले, ज़रीन का अपने भाई के पास दुबई जाना और बाद में उसका वहीं निक़ाह कर दिया जाना प्रचारित कर अपने को बदनामी से बचाया। इस बात को अब दस वर्ष हुए, इस बीच आशीष के पापा( और परिवार) रिटायरमेंट के बाद शिमला सेटल्ड हो गए। ज़रीन, उनके घर रिश्तेदारों में अश्रुना ही पहचानी गई। सबके सामने उसने अपना व्यवहार ऐसे रखा कि किसी को शक नहीं हो पाया कि वह पैदाइशी से मुस्लिम है। आशीष और अश्रुना भी अपने हो गए दो बच्चों के साथ ख़ुशी से अब पुणे में रहते हैं। आशीष ने देश में अभी भाग कर शादी करने वालों की चर्चा ज्यादा होने लगी देखी तो उसे ज़रीन के भाग आने का ख़्याल हो आया। इस दृष्टि से कि देश के लोग भागने वाली लड़की के अनुभवों से अवगत हों और साथ ही अब ज़रीन के मन में क्या है, इसे जानने की खुद की उत्सुकतावश, उसने दूरदर्शन से संपर्क किया और घर से भाग के शादी के उपरान्त के अनुभव को लेकर ज़रीन का ऑडियो इंटरव्यू करवाया (ऑडियो इसलिए की ज़रीन सहजता से सब कह सके)। दूरदर्शन ने जिसे रविवार को प्रसारित किया - इंटरव्यू इस प्रकार से दर्शकों ने सुना ..
                         एंकर- अपने दर्शकों के लिए आज हम एक भाग कर शादी करने वाली युवती के अनुभव साक्षात्कार के माध्यम से लेकर आये हैं। आज यह सुनाना समय की जरूरत है क्यूँकि देश में कौम से बाहर और भाग के शादी करने की घटना हो रही हैं। जिस पर कभी ऑनर के और कभी मज़हब के सवाल, बवाल खड़े करते हैं। लीजिये जानिये इस युवती के अपने ख़्याल और अनुभव। इसके साथ ही इंटरव्यू आरंभ होता है-
एंकर - आपका नाम ?
ज़रीन - असली छिपाऊँगी, अभी के लिए सरिता कहिये। 
एंकर - छिपा किस लिये रही हैं ?
ज़रीन - ज़ाहिर करने से मुझे और मेरे परिवार को खतरा हो सकता है. 
एंकर - आप किस जाति की हैं ?
ज़रीन - मैं पैदाइश से मुस्लिम हूँ. 
एंकर - आपने किस जाति के युवक से शादी की है?
ज़रीन - मेरे पति हिंदू-वैश्य हैं। 
एंकर - शादी को कितने वर्ष हुए ?
ज़रीन - जी 10 वर्ष. 
एंकर - क्या आप भाग कर शादी करने के अपने निर्णय से संतुष्ट हैं ?
ज़रीन - जी मैं संतुष्ट और खुश हूँ ?
एंकर - आपके मायके और यहाँ के खानपान में फर्क होगा, आप कैसे सामंजस्य बैठाती हैं ?
ज़रीन - जी, मेरे ससुराल शाकाहारी है, तब भी मुझे माँसाहार के लिए छूट है, यद्यपि में अब स्वयं शाकाहार ही पसंद करती हूँ. 
एंकर - आपको धार्मिक रीति-रिवाज भी अलग हो गए हैं, इससे कोई फर्क आपको पड़ता है। 
ज़रीन - जी, मेरे हस्बैंड खुले ख्यालों के हैं, वे मुझे मुस्लिम आस्था के लिए आज़ादी देते हैं, जबकि अब मैं खुद अपने ससुराल की आस्थाओं को निभाने में ख़ुशी अनुभव करती हूँ. 
एंकर - आपको मुस्लिम से हिंदू परिवेश में आने पर क्या परेशानी लगती है। 
ज़रीन - जी, परेशानी कोई नहीं है. हम मेट्रोपोलिटिन में रहते हैं जहाँ अंधविश्वास ज्यादा नहीं है, साथ ही ससुराल में भले ही हिंदू धर्म के प्रति आस्था है किंतु जोर जबरदस्ती या धार्मिक कट्टरता और आक्रामकता का न होना, दम घोंटू वातावरण से मुक्त करता है साथ में और भी कुछ अच्छाई ही हैं। 
एंकर - जैसे?
ज़रीन - हमारा दो बच्चों का छोटा परिवार है जिनके साथ रहने को हमें पर्याप्त जगह मिलती है.
एंकर - और?
ज़रीन - जी, हम भारतीय हैं, इस परिवार के साथ रहने से हमें अन्य कोई कंफ्यूजन नहीं होता। 
एंकर - और भी कोई बात का ज़िक्र करना चाहेंगी?
ज़रीन - जी, इस परिवार में रहते हुए, मेरे हस्बैंड की तरफ से अन्य पत्नी कर लेने, तलाक़ हो जाने या हलाला जैसे भय से, मैं ताउम्र को मुक्त हो गई हूँ .
एंकर - आपके मम्मी-पापा आदि से मिलने को मन नहीं करता? 
ज़रीन - जी, पहले वो मुझसे बहुत खफा थे, अब नहीं हैं. हम पर कोई खतरा नहीं आये इस हेतु उन्होंने मेरा हिंदू में शादी कर लेना सबसे छिपाया हुआ है। और बेहद छिपे तौर पर साल-छह महीने में हमसे मिलने वे आया करते हैं. हमें खुश और भरा पूरा देख कर खुश होते हैं. 
एंकर - और लड़कियों के लिए आप क्या संदेश देना चाहेंगी कि वे प्यार के लिए भाग कर शादी करें या नहीं?
ज़रीन - किसी लड़की को भाग कर शादी करना पड़े या सरासर सही नहीं है, इसलिए मैं चाहूँगी कि हमें कट्टरता को अपने स्वहित के लिए बढ़ावा देने वाले धर्म गुरुओं के चंगुल से मुक्त होना चाहिए। और अंर्तजातीय और अंर्तसंप्रदाय शादियों को व्दिपक्षीय रूप से ग्रहण करना चाहिए अर्थात सिर्फ किसी कौम से लड़की ले लेना ही नहीं दूसरे कौम में अपनी बेटी का ब्याह कर देना भी हमें स्वीकार्य करना चाहिए. और. . (कह कर चुप होती है).
एंकर - और क्या ?
ज़रीन - लड़कियों को घर से भागना नहीं चाहिए।  भागी लड़कियों के साथ बहुत बुरा होते देखा और सुना है। मेरे जैसी भाग्यशाली, ज्यादा नहीं होती हैं।  
एंकर - आखिर एक सवाल कि आपने अपनी पहचान ही बदल ली, आपको बचपन से इस तरह जुदा होना बुरा तो नहीं लगता ?
ज़रीन - जी लगता तो है, मैं अपने घर और बचपन के रिश्तों से दूर हो गईं हूँ। किंतु ओवरऑल में जितना खोया है उससे ज्यादा मैंने पाया है। 
ऐसे इंटरव्यू समाप्त हो जाता है। जो समझने वालों के समझने के लिए कई इशारे छोड़ जाता है। 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
22-07-2019



           





No comments:

Post a Comment