Saturday, July 13, 2019

दुष्प्रेरित प्रतिक्रियायें

दुष्प्रेरित प्रतिक्रियायें
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सामान्य सा मनोविज्ञान है कि- यदि हमारे साथ या हमारे परिवार में अपमानजनक कुछ घटित हुआ है तो अन्य के मुहँ से उस बारे में चर्चा हमें सुहाती नहीं है। एक और उल्लेख कि- दौलत के लिए हम दिन रात संघर्ष करते हैं और किसी समय हमें एकाएक बहुत लाभ हो जाता है उसके बाद यदि हम आराम या लापरवाही की मुद्रा में आ जायें और उस धन से अपने में लतें पैदा कर उसे उनमें उड़ाने लगें तो ऐसे में तो हमारा वही समय बेहतर होता है जब हम संघर्षशील हुआ करते थे। 
आज हमारे समाज और देश में ऐसा ही कुछ हो रहा है। हमने अपने को कौमों, जातियों और क्षेत्रीयता में बाँट रखा है। अपनी कौम में कुछ होता है जिसे हम अपने अहंकार( ईगो) से अपने ऑनर का प्रश्न (इशू) मानते हैं, ऐसे में कोई उस पर चर्चा और उसे लेकर हमारा मज़ाक़ बनाता है तो ये हमें अपमान लगता है। जबकि हम अपने कटु हादसे को भूल जाना चाहते हैं तब दूसरों का उसे चर्चा में रखने का प्रयास हमें चिढ़ाता है.  हम उससे नफ़रत और दुश्मनी करने लगते हैं। और ऐसे मौकों का इंतजार करते हैं जब उस कौम में ऐसा कुछ हो जिसका मजाक बना उसे अपमानित किया जा सके। उनके और हमारे ऐसे अवसर उत्पन्न होते रहते हैं क्योंकि यह जीवन है जिसमें ऐसा सब कुछ होना स्वाभाविक होता है। 
सोशल साइट्स के आने के बाद ऐसा लगता है कि- ऐसे हमारे/उनके अवसरों पर  नफरत की प्रतिक्रियाओं का क्रम ज्यादा ही बढ़ गया है। हमें समझना होगा कि मिले किसी वरदान का दुष्प्रयोग वरदान को व्यर्थ कर देना होता है। 
हमने अपनी स्वतंत्रता के लिए बहुत बलिदान दिए थे संघर्ष किये थे। ऐसे संघर्ष के उपरान्त मिली आज़ादी को हम लापरवाही से व्यर्थ करते आये हैं। इससे तो बेहतर हमारे संघर्ष के वे दिन थे जब हम सबके दिमाग पर सिर्फ आज़ाद होने का जूनून सवार था, तब हम अपने सारे भेदभाव को भूल अपनी स्वतंत्रता के लिए एकजुट थे। 
भूल सुधार करना इंसान होना होता है। और नफरत की प्रतिक्रिया हिंसक जानवर होना होता है। हम मनुष्य होने का परिचय दें, हम जिम्मेदार होने का परिचय दें। जिस अपमान के अहसास के बाद कोई उसके सुधार को समय देना चाहता है, उस समय में अपनी दुष्प्रेरित प्रतिक्रियाओं से उसका ध्यान भटका कर उसे क्रोधित करने का प्रयास न करें। अन्यथा जिस आत्मग्लानि की स्थिति में किसी के दिमाग की सक्रियता अपने में बदलाव के लिए बढ़ी है, उसके स्थान पर वह हमसे बदला लेने की चालों में लग जायेगी। जो देश और समाज को हिंसा और नफरत के हादसों से भर देगी। 
हमने आज़ादी अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को यह देने के लिए नहीं ली है. अपितु उस देश और समाज रचना के लिए हासिल की है जिसमें हमारे बच्चे सुरक्षा, आदर सहित अपने खुशहाल जीवन का वातावरण पा सकें। 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
14-07-2019   

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