Monday, July 29, 2019

सरल मनोविज्ञान

सरल मनोविज्ञान
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सारी दुनियादारी को हम दो सरल मनोविज्ञान से समझ सकते हैं।  
1. कोई हमारे लिए कुछ या हमारी कोई मदद, तभी करता है जब कि उसे हमसे प्यार/स्नेह हो या हमारी कोई बात उसे आकृषित करती हो। अतएव जब हम चाहें और कोई हमारे लिए वाँछित या हमारी कोई मदद नहीं करे तो उसके प्रति शिकायत रखने से बेहतर यह है कि हम खुद में वह बात/कमी ढूँढे जिसके कारण हमसे प्यार/स्नेह या वह हमारे प्रति कोई आकर्षण क्यों नहीं अनुभव करता है। इसका उत्तर जान लेने के बाद हम अपने व्यक्तित्व में वह बात पैदा करने का प्रयास करें जिससे हमारी जरूरत या अपेक्षा पर वह हमारे लिए कुछ करने से ख़ुशी अनुभव करे। 
2. अब दूसरे मनोविज्ञान को समझे कि जब कोई हमारे लिए बार बार मदद  या हमारा मन वाँछित करने लगे तो उसके मन में अपने किये एहसान के बदले में कुछ हमसे हासिल करने की भावना उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में वह हमारे शोषण करने की हद तक जा सकता है। अतः हमसे प्रेम/अनुराग या चुंबकीय आकर्षण के वशीभूत जब हमारे लिए कोई कुछ करे तो अपने सामर्थ्य और औचित्य के अनुसार उसके लिए भी छोटा या थोड़ा ही सही कुछ कुछ करते रहें, जिससे एहसान का बोध उस पर हावी नहीं होने पाए और हम शोषण के खतरे से बचे रहें। 
नोट - ध्यान रखें, किसी के लिए कुछ करने या किसी से कुछ करा लेने में ज्यादा चतुराई भी उचित नहीं होती है। हमें इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि हमारी कोई चालाकी किसी से छुप सकती है। यह अलग बात होती है कि हमारी चालाकी समझते हुए भी कोई स्वयं को उससे अनभिज्ञ दर्शाये। 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
30-07-2019

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