Saturday, July 27, 2019

हैरत-2

हैरत-2
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अलीम ने पार्क में अपनी प्रेयसी हरप्रीत से आज पूछ लिया - हमें शादी भागकर करनी होगी या तुम्हारे घरवाले तैयार हो जायेंगे? हरप्रीत ने जबाब दिया-  शादी करने के लिए घर से भागूँगी नहीं बल्कि तुमसे शादी के लिए, पापा-मम्मी को  राजी करुँगी। अलीम - नहीं राजी हुए तो? हरप्रीत- तो फिर नहीं करुँगी। इसके बाद अन्य बातों के बाद अंत में अलीम ने हरप्रीत से लगभग आदेश के अंदाज में कहा कि वह आज ही अपने घरवालों से शादी के लिए सहमति कराये. फिर दोनों अपने अपने घर जाने को रवाना हुए। अपने घर में हरप्रीत ने पापा, मम्मी के सामने सारे विवरण रखे तो पापा ने हरप्रीत से नंबर लेकर अलीम से बात की और उसके पापा के साथ घर आने को कहा। दूसरे दिन, अलीम के पापा (करीम), भाई और अलीम, हरप्रीत के घर पहुँचे. चाय-नाश्ते के साथ इस प्रसंग पर जब चर्चा शुरू हुई तो हरप्रीत दरवाजे की ओट में खड़ी हो सब सुन रही थी। बाद में अलीम वगैरह चले गए थे और मम्मी,पापा अपने अपने कामों में लग गए थे, तब हरप्रीत पूरी चर्चा पर चिंतन कर रही थी। 

हरप्रीत को अपने पापा की यह शर्त विचित्र तो लगी थी कि हरप्रीत से अलीम की शादी के लिए 6-7 साल बाद जरीन का ब्याह अमनदीप ( हरप्रीत का भाई, जो अभी बारहवीं में पढ़ रहा था) से आज तय करना होगा. ज़रीन और अमनदीप अभी अल्प वयस्क थे आज उन पर यह थोपना उसे अनुचित लगा था। लेकिन शर्त में यह ख़ुलापन कि छह साल बाद इन दोनों के वयस्क होने पर दोनों की मंशा पूछी जायेगी और राजी होने पर ही दोनों की शादी कराई जायेगी, ने प्रस्ताव को अच्छा बना दिया था। इस प्रस्ताव का करीम और अलीम के भाई द्वारा मंजूर कर कर लिया जाना, हरप्रीत को अच्छा लगा था. फिर पापा की पूरक शर्त से कि ज़रीन की आगे की पढ़ाई सिंधिया स्कूल में हॉस्टल में रखवा कर, पापा करवाएंगे, पर अलीम के लोगों के ऐतराज ने और उस शर्त के होने से अलीम से हरप्रीत की शादी नामंजूर किये जाने ने उसे हैरत में डाल दिया था। 

पापा के इस आइडिये में उसे देश के समाज का 1 अच्छा मॉडल दिखाई दिया था, जिसमें दो गैर कौम के परिवार लड़की देने-लेने से रिश्ते में जुड़ते हैं और साथ ही मुस्लिम लड़की (जिसे उच्च शिक्षा के मौके कम ही दिए जाते हैं) को भी अच्छी और उच्च शिक्षा सुनिश्चित होती है। 

इधर अलीम सहित सभी अपने घर लौटे. दो तीन दिनों तक, ये सभी और मम्मी, अलीम और जरीन के जिक्र के साथ जब तब गर्म मिजाजी से चर्चा करते हुए सुनाई दिए तो ज़रीन ने चर्चा पर ध्यान दिया. जब पूरा मसला उसे समझ आया तो 15 वर्षीया मासूम ज़रीन को, मौलवियों की उस व्यवस्था से जिन पर उनका घर चलता है, बड़ी हैरत हुई. "जहाँ एक तरफ तो पाकिस्तान का मौलवी अब्दुल खालिक मीथा, 450 हिंदू लड़कियों के धर्मांतरण के अपने काम को गर्व से बयान करता है, वहीं दूसरी तरफ भारतीय संसद सदस्या नुसरत जहां के गैर कौम में शादी पर देवबंध से फतवा जारी करता है" उसे तरस आया इन मज़हब के ठेकेदारों की बुध्दि पर जो अपनी खुदगर्जी से इस्लाम की अच्छाइयों पर ही सवालिया चिन्ह लगा देते हैं। उसे रोना आया ऐसी संकीर्ण सोच अंधश्रध्दा एवं रिवाजों पर जो उसकी उन्नति को मिल रहे अच्छी शिक्षा के मौके और अलीम के इश्क की बलि ले लेते हैं। 

छोटी सी जान यह ज़रीन, इन पर कटुता अनुभव तो कर सकती थी मगर लाचार ज़िंदगी की, कोई मदद करने में असमर्थ थी. 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
28-07-2019

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