Tuesday, July 30, 2019

काश ..

काश ..

एक बुजुर्ग ने शायद पिछले वर्ष अपने घर के सामने फुटपाथ पर नीम का पौधा लगाया था। जिसकी ऊँचाई अभी मानवकद से थोड़ी ही ज्यादा होने से उस पर उग आईं नईं पत्तियाँ भ्रमण करने वालों की सरल पहुँच में हैं। आज सुबह वे बुजुर्ग उन सभी भ्रमण करने वालों पर जो उस नीम में से दो-चार पत्तियाँ तोड़ खा लेना चाहते थे नाराजी जता रहे थे। जिससे प्रतिक्रिया में पत्तियाँ तोड़ने वाले हाथ तो रुक जा रहे थे किंतु मुहँ से निकले शब्द कदापि बुजुर्ग के लिए सम्मान के नहीं थे। उन बुजुर्ग का फुटपाथ पर लगाए उस नीम पर अधिकार बोध तथा वृक्षारोपण जनित गौरवबोध इतना अधिक हावी था कि वह पक्ष उनके ध्यान में नहीं आ रहा था जिससे वे क्रोधित होने के स्थान पर आनंदित हो सकते थे।
काश- वे इस कोण से सोच पाते कि देखो मेरे लगाये पौधे की पत्तियों को कितने ही व्यक्ति, औषधीय लाभ की दृष्टि से सेवन कर अपना स्वास्थ्य वर्धन कर रहे हैं. 

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
31-07-2019

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