Sunday, January 20, 2019

#मेरा_बेलाग_खुलासा

#मेरा_बेलाग_खुलासा

मेरे चित्त में समय समय पर यह प्रश्न उत्पन्न हो जाता है कि मेरे जीवन का महत्व दूसरों के लिए क्या है? मुझे निजी सुख और भोग विलास की कामना रखने में कोई औचित्य नहीं दिखाई देता कि इन बातों की कोई इंतहा नहीं होती. परलोक एक रहस्य होता है, मुझे वह सुधरे इसकी कोई चिंता नहीं कि मैं परिस्थितियों के साथ समन्वय बनाने का पक्षधर हूँ. मुझे लगता है कि जो भी परलोक मेरे लिए होगा उससे सामंजस्य मैं बना लूँगा. ना बनाने का किसी के पास कोई विकल्प भी नहीं होता. अतएव मेरा चित्त कहता है जीवन उतना ही दीर्घ हो जितना कि इसका महत्व दूसरों के लिए कुछ बना हुआ रहे. इन्हीं सब विचारों के बीच अपनी कोई न कोई उपयोगिता या भूमिका मैं खोजता रहता हूँ ताकि जीने के प्रति मेरा मोह बना रह सके. मैं आत्महत्या का विचार नहीं रखता , सहज जीवन जितना होगा उसे पूरा करने का आकाँक्षी भी मैं हूँ. 

तमाम इन तथ्यों के साथ, आजकल एक ख्याल आ रहा है कि क्यों ना मनोविज्ञान में एम ए  की उपाधि के लिए पठन करूँ. इससे एक कॉउंसलर या मेंटर की भूमिका मैं ले सकता हूँ. आज जीवन हैं जो अवसाद और समस्या ग्रस्त हैं, जिनकी सहायता करने के कार्य से इस समाज को 'स्वस्थ मन' का समाज बनाने में योगदान कुछ मेरा भी हो सके. जैसा कुछ विव्द जन मानते हैं वैसा ही मेरा भी मानना है कि -

"ख़ुद जिम्मेदारी होने से बेहतर , समाज जिम्मेदारी लेना है"

--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
21-01-2019

No comments:

Post a Comment