#नजर कोई जब किसी में #तारीफ देख पाती है
#तारीफ़ मुझे तब उस #नज़र में समझ आती है
बहुत हैं जिनकी #नज़र में नाचीज़ हूँ मैं
जानता यह भी कि कुछ में #अजीज़ हूँ मैं
हमें नाचीज़ समझते वे #अजीज हैं किसी के
#नज़र है ये इसलिए हम मुरीद हर किसी के
औकात कोई बताये उससे बेहतर ये
कि हद हम अपनी खुद तय कर लें
#तारीफ़ मुझे तब उस #नज़र में समझ आती है
बहुत हैं जिनकी #नज़र में नाचीज़ हूँ मैं
जानता यह भी कि कुछ में #अजीज़ हूँ मैं
हमें नाचीज़ समझते वे #अजीज हैं किसी के
#नज़र है ये इसलिए हम मुरीद हर किसी के
औकात कोई बताये उससे बेहतर ये
कि हद हम अपनी खुद तय कर लें
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