शुबहा ताउम्र रहे कि हैं कोई जो हमारे हैं
इससे बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा
कहते हैं प्यार से, तुम हमें जान से ज्यादा प्यारे हो जायें ऐसे कि शुबहा कायम रहे तो बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा
कहते हैं तेरे लिए आसमां से तारे तोड़ ला सकते हैं नौबत न आये तुम्हें रुलायें तो बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा
तुम कहते हो मैं शायरी में बात कह नहीं सकता न हो शायरी पर बात कह जायें तो बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा
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