Wednesday, January 23, 2019

शुबहा ताउम्र रहे कि हैं कोई जो हमारे हैं
इससे बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा

बुरे वक़्त ने दिखाया है कोई किसी का नहीं होता गुजरे वक़्त ऐसे, बुरा न आये तो बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा

कहते हैं प्यार से, तुम हमें जान से ज्यादा प्यारे हो जायें ऐसे कि शुबहा कायम रहे तो बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा

कहते हैं तेरे लिए आसमां से तारे तोड़ ला सकते हैं नौबत न आये तुम्हें रुलायें तो बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा

तुम कहते हो मैं शायरी में बात कह नहीं सकता न हो शायरी पर बात कह जायें तो बेहतर ज़िंदगी में और क्या होगा

सच्चा था किरदार मेरा, तुम देखना न चाहते थे छिपा लिया मैंने तुमसे, तो देखने को आतुर हो


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