Wednesday, January 30, 2019

सब से मिलता मिज़ाज,
करीब उसके होते हैं हम
होती जिसको जो पसंद,
वह जुबान बोलते हैं हम

सब से है प्यार मुझे सब लगते अपने से हैं
सब की है भली सी आरजू सब मेरे जैसे हैं

अब तक ज़िंदगी पर, अपनी जिद चलाता मैं आया
जरूरत न थी, इतनी जिद की अब समझ में आया

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