इश्क़ वह नहीं रहा नींद उड़ाया करता था
'रिवाज़ ए ज़िंदगी' बुरे हैं जो सोने नहीं देते
यूँ ही बर्बाद करने की वज़ह हुईं
दुनिया में अनेकों चीज़
इंसानियत से जी सके कोई
ज़िंदगी को फ़ुरसत नहीं रही
'रिवाज़ ए ज़िंदगी' बुरे हैं जो सोने नहीं देते
यूँ ही बर्बाद करने की वज़ह हुईं
दुनिया में अनेकों चीज़
इंसानियत से जी सके कोई
ज़िंदगी को फ़ुरसत नहीं रही
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