Monday, January 14, 2019

नहीं हसरत कोई, हम औरों से बेहतर बनें
है हसरत मगर, सब हमसे बहुत बेहतर बनें

इंसानियत अदा करने ज़िंदगी ने
दिया वक़्त कुछ हमें कि
तू जहां रोशन कर दे
गँवाया वक़्त हमने रोशन चिराग बुझा कर

इत्र से हमने खुद को महकाया, कभीं नहीं
इक हसरत खुद शख्सियत महके, हावी रही

न तुम बदले होते ना ही हमें बदलना होता
दुनिया को मोहब्बत का सुबूत मिला होता

एक दूसरे से मोहब्बत का दावा दोनों ही किया करते थे
एक बदल गया तो दूसरे ने मोहब्बत की शर्तें बदल दीं


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