खुद अपनी खोट दूर करने का ख़्याल आता नहीं
ज़माने को सुधारने की तदबीर तलाशते फिरते हैं
जहन में रहे यह बात कि
कद्र किसी के होने पर रहे
न रहे कोई फिर कद्र की तब
सिर्फ पछतावा ही होगा
ज़माने को सुधारने की तदबीर तलाशते फिरते हैं
जहन में रहे यह बात कि
कद्र किसी के होने पर रहे
न रहे कोई फिर कद्र की तब
सिर्फ पछतावा ही होगा
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