किसी का अपना बनाकर मुझे मजबूर यूँ करना था
खुदा तू कैसा अपना है मुझसे यूँ बदला क्यूँ लेता है
यहाँ मेरे अपनों की मजबूरियाँ अनेकों हैं
जहां वह कैसा है अब देखेंगे वहाँ जाकर
खुदा तू कैसा अपना है मुझसे यूँ बदला क्यूँ लेता है
यहाँ मेरे अपनों की मजबूरियाँ अनेकों हैं
जहां वह कैसा है अब देखेंगे वहाँ जाकर
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