मोहब्बत की दरकार थी ज़िंदगी को
दहशत के साये में मजबूर है जीने को
हसरत हो कि
ज़िंदगी कोई मोहब्बत से बेजार न हो
तो आ जाना
अकेले ही मैं एक कारवाँ हो चल पड़ा हूँ
दहशत के साये में मजबूर है जीने को
हसरत हो कि
ज़िंदगी कोई मोहब्बत से बेजार न हो
तो आ जाना
अकेले ही मैं एक कारवाँ हो चल पड़ा हूँ
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