Saturday, December 8, 2018

मोहब्बत की दरकार थी ज़िंदगी को
दहशत के साये में मजबूर है जीने को

हसरत हो कि
ज़िंदगी कोई मोहब्बत से बेजार न हो
तो आ जाना
अकेले ही मैं एक कारवाँ हो चल पड़ा हूँ 

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