मयस्सर हुई ज़िंदगी में जो इशरत जरा सी
गुमान यूँ हो गया जैसे ख़ुद हम खुदा हो गए
मयस्सर - लब्ध/प्राप्त ,इशरत - भोगविलास/वैभव
ख्याल ए यार को फुर्सत हमें नहीं
शुबहा मगर
कि वह ख्वाब ओ ख़्याल में अपने
रखता हमें होगा
गुमान यूँ हो गया जैसे ख़ुद हम खुदा हो गए
मयस्सर - लब्ध/प्राप्त ,इशरत - भोगविलास/वैभव
ख्याल ए यार को फुर्सत हमें नहीं
शुबहा मगर
कि वह ख्वाब ओ ख़्याल में अपने
रखता हमें होगा
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