Sunday, December 9, 2018

निहायत अविवेकपूर्ण व्यवस्था थी , भारत की आज़ादी देते हुए ब्रितानी हुकूमत की और आज़ादी लेते हुए महत्वाकांक्षी हमारे सियासत दारों और मज़हबी दृष्टि से अपने हित लोलुप धार्मिक ठेकेदारों की जिसके अंतर्गत आज़ादी के साथ ही यह मुल्क विभाजन को मजबूर हुआ। मानवता की दृष्टि से नितांत अदूरदर्शिता पूर्ण दृष्टि ने कितने नामी गिरामी शख्सियत को उनसे मूल से उखाड़ कर उन्हें अवसाद और गुमनाम हो जाने को बाध्य किया। कितने के जमे व्यवसाय - उद्योग सत्यानाश हुए उन्हें छोड़ कर किसी को इस तरफ और किसी को उस तरफ फिर अपनी ज़मीन बनाने के चुनौती पूर्ण काम मिले। कितने ही लोगों ने अपनी जानें गँवाई। और इस उपमहाद्वीप में बहन बेटी और बहुओं से मापी जाने वाली खानदान की इज्जत को क्या नहीं कलंक और मानसिक अवसादों का सामना करना पड़ा जब सभी कौम के मर्दों में सोया हुआ दरिंदा जाग उठा जिसने छोटी सी बच्ची से लेकर बूढी औरतों को अपनी हवस का शिकार बना उनकी आबरू तार तार कर दी , इनमें से अनेकों शरीर इस यातना और बेइज्जती के कृत्यों को सहन नहीं कर पाया कुछ मर गईं , कुछ को दरिंदों ने मार डाला। यह इस उप महाद्वीप का घिनौना इतिहास लिखा जाने वाला वक़्त था। अदूरदर्शी तब के नीति निर्धारकों ने भारत और पाकिस्तान का वह कारण दे दिया था जिससे उत्पन्न परस्पर नफरत से कई पीढ़ियों को बदले की तथा रंजिश की आग में जलते हुए एक दूसरे पर वह कहर बरपाना था जिसमें लोगों को दहशत के साये में जीना था। परस्पर सौहार्द या मोहब्बत की मधुरता से मिलने वाले ज़िंदगी के लुफ़्त से वंचित , नफ़रत दिल में रख उसकी जलन स्वयं को ष्ण और दूसरों की इसकी आग में झोंकना था। 
इस प्रकार कहें तो 1947 ईसवी तक का मानव इतना सभ्य नहीं हो सका था जो यह समझ सकता कि तोड़ना नहीं एक दूसरे को जोड़ना मानवता के हित में होता है। यही जुड़ना उस विश्वास और सहयोग की बुनियाद होती है जिससे हर ज़िंदगी को खुशहाली की बुनियाद और धरातल देती है। 
2018 ईसवी में अगर इस सच को हम पहचान लें और पूर्व इंसानी पुश्तों की गलतियों से उपजे परिवेश को बदलने की कोशिश की शुरुआत करें तो मानव सभ्यता की परिपक्वता साबित करेगा जिसमें हम वह धरातल बना सकेंगे जब भारत पुनः एक होगा और परस्पर विश्वास - सहयोग से ऐसा मुल्क बनना आरंभ करेगा जो दुनिया को इंसानियत की मिसाल और संस्कृति देगा। दुनिया को भारत पुनः संस्कृति और सभ्यता का नेतृत्व देगा जिससे पूरी दुनिया में भाईचारा और अम्न का साम्राज्य होगा। 
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 

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