Friday, December 7, 2018

ज़िंदगी गुज़र रही है बाकि भी यूँ गुज़र जायेगी
ये सोच के चुप रहना ठीक नहीं
ज़िंदगी और परिवेश नई पुश्तों को ठीक मिले
मुनासिब है इसके लिए हम प्रेरणा बनें

यूँ तो करने से तुम्हारे कुछ भी फ़र्क पड़ना नहीं है
मगर इससे निराश हो तुम्हें लक्ष्य छोड़ना नहीं है 

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