Saturday, June 6, 2015

हितकारिणी नारी

हितकारिणी नारी
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व्यर्थ पूछना है ,'प्यार' या माँ-पिता ज्यादा महत्व रखते हैं
व्यर्थ प्रश्न ,बच्चे की माँ या पिता ज्यादा महत्व रखते हैं

व्यर्थ सोचना यह कि नारी या पुरुष का महत्व ज्यादा है
व्यर्थ प्रश्न यह कि कमाऊ या ग्रहणी का महत्व ज्यादा है

हर मनुष्य का जीवन भिन्न सफर ,भिन्न संघर्ष होता है
नारी तथा पुरुष का महत्व और सम्मान बराबर होता है

जन्म ,परिवेश ,परिस्थिति से भिन्न भूमिकायें होती हैं
अपनी अपनी क्षमता ,यत्न से भूमिका निभाली होती हैं

पुरुष ने सीने में दुःख चुप रख लेने का साहस दिखाया है
नारी ने अस्तित्व ही पुरुष में विलोपित कर दिखलाया है

नित नई-नई उपलब्धियां आधुनिका हुई नारी की जारी है
हितकारिणी नारी में अस्तित्व लीनता की पुरुष की बारी है
--राजेश जैन
06-06-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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