Sunday, June 7, 2015

षड़यंत्र

षड़यंत्र
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विचार कीजियेगा , नारी या पुरुष जब अकेला होता है ,
उसे हर बात के लिए बाजार पर निर्भर रहना होता है।
बाज़ार में उपलब्ध उसे कई ऐसी चीजें मिलती हैं ,
जो गुणवत्ता में घरेलु तैयार हो सकने वाली चीजों से
कमतर (हानिकारक) होती है।
यदि लोग परिवार में रहेंगे तो बहुत सी बातों के लिए ,
बाज़ार में स्कोप ही न रहेगा।
इसलिए बाजार से अनाप शनाप धन कमाने वाले चाहते हैं ,
परिवार बिखर जायें। ताकि उनके अपने स्वार्थ और मंतव्य सिध्द
हो सकें। पति -पत्नी में बढ़ाई जा रही दूरियाँ ,ऐसों द्वारा दिया 
एक सोचा समझा षड़यंत्र है।
नारी -पुरुष  दोनों के लिए परिवार में रहना ही उचित है ,
इसलिए उनमें परस्पर सम्मान और विश्वास का होना जरूरी है.
साथ ही यह भी जरूरी है , अपने जीवनसाथी में कमी नहीं
उनकी प्रशंसनीय बातों को चर्चा में रख आपसी प्रेम
बढ़ाया जाए।
--राजेश जैन
08-06-2015

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