Monday, June 29, 2015

कोई किसी का नहीं होता है ?

कोई किसी का नहीं होता है ?
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"कोई हमारा हो ,से पहले हम ही तो हमारे हों
जीवन सुखद बनें जिनसे ऐसे कर्म हमारे हों
अनेकों का सहयोग है ,हम जीवन जी लेते हैं 
ऐसी अनुभूति से आभार के विचार हमारे हों"
यह कहना "कोई किसी का नहीं होता है" , गलत है। यद्यपि ,कोई किसी का हर समय नहीं होता , किन्तु जीवन भर कोई-कोई और कई-कई हमारे अपने होते हैं , जिनके साथ एवं सहयोग से हमारा जीवन सफर तय होता जाता है। इसी तारतम्य में हम भी कोई के और कई के होते रहते हैं, जिनका हम साथ एवं सहयोग करते हैं। किसी के साथी होना या सहयोगी होने से अभिप्राय ,उसे सुख और सरलता देना है। चूँकि हम सदा किसी को सुख और सरलता नहीं पहुँचा सकते हैं इसलिये यह वाक्य "कोई किसी का नहीं होता है" अक्सर कहने -सुनने में आता है।
सच कहा जाये तो ,सदा तो हम स्वयं ही अपने नहीं होते। वास्तव में हमारे कर्म कभी-कभी स्वयं अपने सुख के दुश्मन होते हैं ,हमारे अपने लिए कठिनाई बनते हैं। अतः जब हर समय ,हम ही हमारे नहीं होते तो कोई अन्य जितना भी हमारे लिए कर देता है , उतना तो हमारा होता है।
--राजेश जैन
29-06-2015
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